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रेप पीड़िता और परिवार की पहचान को उजागर न करें, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की हिदायत

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने रेप और पॉक्सो मामले में पीड़िता की पहचान उजागर नहीं करने को लेकर एक अनुपालन जारी किया है. मंत्रालय ने कहा है कि पिछले महीने दिल्ली में एक अधिकारी पर लगे नाबालिग से रेप के मामले में कुछ मीडिया हाउस ने पीड़ित की पहचान को उजागर करने का प्रयास किया है जिससे बचना चाहिए.

मंत्रालय ने कहा कि रेप के मामले में मीडिया को पीड़िता और उसके परिवार की पहचान को उजागर करने से बचना चाहिए. अनुपालन में कहा गया है रेप के मामलों में पीड़िता की पहचान को उजागर नहीं करने को लेकर पीड़ित मीडिया काफी हद तक गंभीर रही है. पीड़िता और उसके परिवार की पहचान को उजागर नहीं करने को पहले भी आदेश जारी किया गया था.

मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने खुद ही लिया था संज्ञान
दरअसल, दिल्ली में एक अधिकारी की ओर से नाबालिग बच्ची के साथ रेप मामले में कुछ रिपोर्ट में उसकी पहचान उजागर किए जाने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने खुद ही संज्ञान लिया है. पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की खंडपीठ ने पुलिस से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि मामले से जुड़े सभी एफआईआर और अन्य दस्तावेज में पीड़िता का नाम को छिपाकर रखा जाए.

अपने एथिक्स का पालन करे मीडिया
इसके साथ-साथ दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि बच्ची के नाम का खुलासा नहीं किया जाए. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले पर संज्ञान लिया है. अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अनुपालन जारी कर कहा है कि प्रिंट के साथ-साथ डिजिटल मीडिया को भी अपने एथिक्स को ध्यान में रखने की जरूरत है ताकि पॉक्सो एक्ट के मामले में पीड़िता की पहचान उजागर न हो सके.

 

 

 

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