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क्या UP में ‘आग’ से खेल रही कांग्रेस? इमरान मसूद के बाद हमीद अहमद को अपनी तरफ खींचा

कांग्रेस ने पश्चिमी यूपी में मुस्लिम नेताओं को जोड़ने का अभियान शुरू कर दिया है. पहले सहारनपुर के इमरान मसूद शामिल हुए और सोमवार को बागपत से आरएलडी नेता हमीद अहमद कांग्रेस कैंप में आ गए हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने उन्हें कांग्रेस में शामिल कराया है. पश्चिमी यूपी में मुस्लिम वोटर निर्णायक माने जाते हैं. समाजवादी पार्टी होते हुए इमरान मसूद बीएसपी में आए थे और फिर पिछले हफ्ते वे मरते दम तक राहुल गांधी के साथ रहने के वादे के साथ कांग्रेसी बन गए.

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आरएलडी INDIA गठबंधन में शामिल हैं, तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि दूसरी पार्टियों से मुस्लिम नेताओं को तोड़कर कांग्रेस में शामिल करने पर अखिलेश यादव और जयंत चौधरी नाराज नहीं होंगे, अगले लोकसभा चुनावों को लेकर सीटों के बंटवारे पर बात तो नहीं बिगड़ सकती है? कुछ दिनों पहले ही यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा था कि समाजवादी पार्टी के बड़े नेता हमसे जुड़ना चाहते हैं. अगर इस तरह से अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की पार्टी में सेंधमारी होती रही तो इंडिया गठबंधन खतरे में तो नहीं पड़ जाएगा.

राहुल गांधी, अखिलेश यादव और जयंत चौधरी साथ-साथ लोकसभा चुनाव लड़ने का इरादा रखते हैं. तीनों नेताओं का यही वादा है. लेकिन जिस तरह से यूपी में कांग्रेस एक्शन में है उसके कुछ और राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. क्या इसे कांग्रेस की तरफ से एक दबाव की रणनीति समझा जाए? समाजवादी पार्टी के कई नेता बार-बार ये कहते हुए सुने जाते हैं कि यूपी में कांग्रेस के पास तो चुनाव लड़ने लायक नेता भी नहीं हैं.

इमरान मसूद ने अखिलेश को बता दिया था धोखेबाज
बीएसपी में शामिल होने के समय पश्चिमी यूपी के बड़े मुस्लिम नेता इमरान मसूद ने अखिलेश यादव के खिलाफ बहुत कुछ कहा था. इमरान ने तो अखिलेश की राजनीति करने के तरीके पर भी सवाल उठा दिए थे. उन्होंने अखिलेश यादव को धोखेबाज नेता तक कह दिया था.

इमरान मसूद के बाद अब एक और मुस्लिम नेता हमीद अहमद ने कांग्रेस में एंट्री ली है. हमीद अब तक आरएलडी में थे. वे यूपी के पूर्व मंत्री कौकब हमीद के बेटे हैं. वे बागपत से पांच बार विधायक रहे. उनके बेटे हमीद अहमद आरएलडी में राष्ट्रीय सचिव थे. वे बागपत से दो बार विधानसभा का भी चुनाव लड़ चुके हैं. पहली बार मतलब 2017 में वे बीएसपी से लड़े और फिर 2022 में आरएलडी के टिकट पर लड़े पर दोनों बार हारे.

जयंत चौधरी हो सकते हैं नाराज
पिछले विधानसभा चुनाव में हमीद अहमद को 94 हजार से अधिक वोट मिले थे. बागपत से जयंत चौधरी का भावनात्मक संबंध रहा है. पिछली बार वे खुद यहां से चुनाव लड़े थे. इंडिया गठबंधन में वे ये सीट अपनी पार्टी के लिए चाहते हैं. ऐसे में हमीद अहमद को कांग्रेस में शामिल कराने से जयंत चौधरी के नाराज होने का भी खतरा है. यूपी में कांग्रेस की कोशिश अपने लिए माहौल बनाने के साथ-साथ मजबूत नेताओं को पार्टी से जोड़ने की भी है, लेकिन समाजवादी पार्टी और आरएलडी के साथ गठबंधन में रह कर इस राह पर चलने में खतरे भी कम नहीं हैं.

 

 

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