जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन यहां पर सबसे बड़ा सवाल ये है कि जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी? इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। आपके इस सवाल का जवाब हम अपने इस लेख में लेकर आए है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
यही कारण है कि जन्माष्टमी की तिथि रोहिणी नक्षत्र को देखकर ही निर्धारित की जाती है। वहीं इस साल कई त्योहारों की तिथि को लेकर उलझन की स्थिति है। ऐसे में बता दें कि, 6 सितंबर के दिन जन्माष्टमी मनाई जाए या फिर 7 सितंबर के दिन, आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है तो बता दें कि भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी तिथि 6 सितंबर की दोपहर 3 बजकर 38 मिनट पर शुरू हो रही है और 7 सितंबर की शाम 4 बजकर 14 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में 6 सितंबर की पूरी रात रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जिस कारण 6 सितंबर के दिन ही जन्माष्टमी मनाई जा रही है। वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर के दिन जन्माष्टमी मना रहे हैं।
क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर की रात 11 बजकर 56 मिनट से लेकर देररात 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इस बीच बाल गोपाल की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर कई जगहों पर श्रीकृष्ण की झांकी सजाई जाती है और झूला तैयार किया जाता है और उनकी प्रतिमा रखी जाती है। बाल गोपाल का लड्डू, दही, शहद, शक्कर और घी आदि से अभिषेक किया जाता है। फिर भगवान की पूजा की जाती और भोग लगाया जाता। इसके बाद प्रसाद बांटा जाता है।
जो लोग जन्माष्टमी के दिन व्रत रखना चाहते हैं वो सुबह स्नान पश्चात व्रत का संकल्प ले, दिनभर फलाहार और सात्विक भोजन करते हैं। भक्त इस दिन श्रीमदभगवदगीता का पाठ भी करते हैं और भगवान का ध्यान करें।