चीन ने कुछ दिनों पहले एक नया मैप जारी किया था। इस मैप में चीन ने भारत सहित कई देशों के अधिकारिक क्षेत्र को अपना हिस्सा बता दिया था। जिसमे भारत के अलावा फिलीपींस, मलेशिया सहित वियतनाम और ताइवान शामिल है। चीन की इस हरकत पर पूरी दुनिया में जमकर विरोध हो रहा है। अब इस लिस्ट में जापान का नाम भी शामिल हो गया है। जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव हिरोकाज़ु मात्सुनो ने सरकार की तरफ से चीन के नए मैप का कड़ा विरोध दर्ज किया है।
जापानी मीडिया ने मात्सुनो के हवाले से कहा कि, जापान ने चीन से मैप को रद्द करने का आग्रह किया क्योंकि इसमें दक्षिणी जापान के ओकिनावा प्रान्त में स्थित सेनकाकू द्वीप को चीन ने अपना बताया है। उन्होंने मैप में सेनकाकस को डियाओयू द्वीप समूह के रूप में दर्शाया है। ये द्वीप साउथ चाइना सी के किनारे स्थित है, जिस पर चीन ने अपना दावा पेश किया है।
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव हिरोकाज़ु मात्सुनो ने एक बयान में कहा कि, सेनकाकू द्वीप ऐतिहासिक रूप से और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जापानी क्षेत्र का एक अंतर्निहित हिस्सा हैं। जापान लोगों के जीवन और संपत्तियों के साथ-साथ देश की जमीन, समुद्र और हवाई क्षेत्र की रक्षा करने में दृढ़ रहने की अपनी नीति पर अमल करता है। इसके लिए हम शांत और दृढ़ तरीके से प्रतिक्रिया देना जानते हैं।
वहीं जापान के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने द्वीपों पर टोक्यो के दावे को खारिज कर दिया। माओ निंग ने बुधवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि, दियाओयू द्वीप और पड़ोसी द्वीप चीन के क्षेत्र का हिस्सा हैं।
चीन के नए मैप पर भारत के साथ फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम और ताइवान की सरकार ने मैप खारिज करने की बात कही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, भारत ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर दावा करने वाले मानचित्र पर चीन के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया।