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UP: सड़क पर चली JCB… 7 साल बाद आया फैसला, अब हुई कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के एक किसान को 19 साल बाद कोर्ट से इंसाफ मिला है. किसान की जमीन पर पीडब्ल्यूडी ने सड़क बना दी थी. इस विवाद में कोर्ट ने किसान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पीडब्ल्यूडी को सड़क को तोड़ने का आदेश दिया. इसके बावजूद जब विभाग ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया तो कोर्ट अमीन और पुलिस बल की मौजूदगी में किसान ने बुलडोजर चलवाकर सड़क को उखड़वा दिया.

दरअसल उन्नाव जिले के पुरवा तहसील के असोहा ब्लॉक के अन्तर्गत चंदनखेड़ा-जोरावरगंज वाया स्माईलपुर मार्ग का निर्माण साल 2004 मे कराया गया था. सड़क निर्माण के समय स्माइलपुर के किसान रामदत्त ने अपनी जमीन से सड़क निकालने का विरोध किया था. लेकिन उस समय लोक निर्माण विभाग ने सड़क निर्माण कार्य ना रोकते हुए सड़क का निर्माण करवा दिया. उन्हें इसके बदले कोई मुआवजा नहीं दिया गया था.

रामदत्त को कोर्ट से मिला इंसाफ

किसान रामदत्त काफी इससे दुखी थे. जिसको लेकर पीड़ित किसान रामदत्त ने 2004 मे ही अपर सिविल कोर्ट कोर्ट नंबर 4 मे मुकदमा दर्ज करते हुए लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को पार्टी बना दिया था. 12 वर्षों तक कोर्ट में चले मुकदमे में 17 सितंबर 2016 को किसान के पक्ष मे कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उक्त भूमि को खाली करने का आदेश दिया था. वहीं पुरवा सिविल कोर्ट से 30 सितंबर 2021 को लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को नोटिस जारी किया गया, लेकिन विभाग की ओर सेकोर्ट मे कोई आपत्ति नहीं दाखिल की गई.

पीडब्ल्यूडी ने कोर्ट का आदेश नहीं माना

जब पीडब्ल्यूडी ने सड़क नहीं तोड़ी तो मुकदमा लड़ रहे किसान रामदत्त ने 17 जनवरी 2023 को सिविलकोर्ट पुरवा मे पुलिस बल और सरकारी खर्च पर कब्जा दिलाने के लिए याचिका दायर की थी, जिस परकोर्ट अमीन ने 16 फरवरी 2023 को आख्या कोर्ट मे पेश किया था. 17 अगस्त 2023 को रामदत्त ने कब्जा खाली कराने की मांग की.

कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग द्वारा कोई आपत्ति दाखिल न करने पर कोर्ट ने 28 सितंबर 2023 को कोर्ट अमीन, असोहा पुलिस बल की मौजूदगी मे सड़क खाली कराकर वादी को कब्जा दिलाए जाने का आदेश पारित किया था, जिसके अनुपालन में रामदत्त के खेत से गुजरी 113 मीटर सड़क पर बुलडोजर कार्रवाई की गई और सड़क को उखाड़ फेंका गया.

‘किसानों ने निशुल्क जमीन दी थी’

इस बारे पीडब्ल्यूडी के अभियंता एच डी अहिरवार ने बताया की कोर्ट के आदेश से सड़क तोड़ी गई है साथ ही यह भी बताया की किसान के पूर्वजों ने नहर निकालने के लिए सिंचाई विभाग को निशुल्क जमीन दी थी. उसी नहर की पटरी पर हमारी सड़क बनी थी, जिसको तोड़ा गया है. हमने स्टे के लिए याचिका दाखिल की है.

अहिरवार ने बताया की पुराने समय में वहां के किसानों ने नहर विभाग को नहर निकालने के लिए जमीन दी थी जिसमे रामदत्त की भी जमीन शामिल है. किसानों ने निशुल्क जमीन दी थी लेकिन यह बात कागजों पर नहीं दर्ज हो पाई. जिसके कारण किसान को लगता है कि हमारी जमीन ऐसे ही ले ली गई.

एसडीएम बांगरमऊ उदित सेंगर ने बताया की माननी यकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए कोर्ट अमीन और पुलिसबल की मौजोदगी में सड़क तोड़ी गई है. सड़क टूटने से मात्र एक गांव का आवागमन बाधित होगा. हालांकि बगल से उस गांव जाने के लिए एक दूसरा मार्ग भी है.

 

 

 

 

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