उरई जालौन- सरकार एक तरफ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने की बात कर रही है. वहीं दूसरी तरफ जालौन जिले में कार्यरत जिम्मेदार अधिकारियों के चलते केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना जमीनी धरातल पर उतरने से पहले ही भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ रही है।
गांव के मजदूरों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कर मजदूरों को दूसरे प्रदेश से पलायन से रोकने के लिए चलाई जा रही मनरेगा योजना जिम्मेदारों के चलते भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई है, ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक, पंचायत सचिव “ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर” (खंड विकास अधिकारी) जिनके द्वारा इस योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला कोंच विकासखंड के ग्राम पंचायत इमलौरी से सामने आया है जहां बिना काम किया 200 से अधिक श्रमिकों की प्रतिदिन हाजिरी लगाई जा रही है। फर्जी हाजिरी लगाने में माहिर ग्राम प्रधान एवं सचिव द्वारा मनरेगा योजना में जमकर भ्रष्टाचार कर सरकारी खजाने को चूना लगा रहे हैं और फर्जी एमएमएस कर जमकर बंदरबांट करने में जुटे हैं। अब सवाल यह खड़ा होता है कि गरीब मजदूरों के हक पर डांका डालने वाले जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी या यूं ही कार्रवाई के नाम पर अधिकारियों द्वारा जांच के नाम का खेल खेला जाएगा। वहीं जब इस संबंध में डीसी मनरेगा से बात की गई तो उन्होंने वही रटा रटाया जवाब दिया कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी.
रिपोर्ट- सद्दाम हुसैन