निर्भया के आरोपी, बाबा राम रहीम का केस लड़ चुके और अब हाथरस के चारों आरोपियों का केस लड़ रहे वकील एपी सिंह का कहना है, ‘आरोपियों के परिजनों के अलावा अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के कुंवर मानवेंद्र और गुजरात के बांकानेर से पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. दिग्विजय सिंह ने पत्र लिखकर मुझसे इस केस को लड़ने के लिए अपील की है.’
देश को झकझोर देने वाला दिल्ली का निर्भया कांड हो या धार्मिक विश्वास को दरकाने वाला बाबा राम रहीम मामला हो या अब दलित बनाम सवर्ण कथित गैंगरेप और हत्या वाला हाथरस कांड हो. इन सभी मामलों से वकील अजय प्रकाश सिंह का नाम जुड़ा हुआ है. इससे भी खास बात है कि एपी सिंह अक्सर ही आरोपियों की तरफ से केस लड़ते हैं. अभी तक के इन बड़े मामलों में एपी सिंह ने आरोपियों के पक्ष को ही कोर्ट के सामने रखा है. ऐसे में उन पर लोग सवाल भी उठा रहे हैं कि वे पीड़ितों का केस क्यों नहीं लड़ते. साथ ही हाथरस केस में वो एक बार फिर निर्भया की वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा के सामने होंगे.
लखनऊ: जनेश्वर मिश्र पार्क में फोटोशूट करा रही मॉडल के साथ छेड़छाड़
ऐसे में तमाम सवालों पूछने पर वकील एपी सिंह कहते हैं कि वो एक वकील हैं, सही और गलत का फैसला तो अदालत करती है लेकिन वो कोशिश करते हैं कि किसी भी बेगुनाह को सजा न मिले और गुनाहगार सलाखों के पीछे पहुंचे.
हाथरस केस के आरोपियों का केस आप लड़ रहे हैं क्या यह सही है?
जी हां. मैं ही चारों आरोपियों का केस लड़ रहा हूं.
क्या आपने खुद ही इनका केस लड़ने के लिए पहल की थी?
नहीं. मैंने कोई पहल नहीं की. न ही मैं किसी केस को लड़ने के लिए खुद अप्रोच करता हूं. यह मामला भी और मामलों की तरह मेरे पास आया. मुझसे लड़ने के लिए अनुरोध किया गया. मैंने पूरा केस पढ़ा और तब मैंने हां की.
कौन लाया इस मामले को आपके पास?
चारों आरोपियों के परिजनों के अलावा अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के मानवेंद्र सिंह और गुजरात के बांकानेर से पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. दिग्विजय सिंह ने पत्र लिखकर मुझसे इस केस को लड़ने के लिए अपील की है.
आप आरोपियों का पक्ष रखेंगे, देश की भावनाएं पीड़िता से जुड़ी हैं, लोग आपका विरोध कर सकते हैं?
मुझे ऐसा नहीं लगता. जब से आरोपियों की ओर से केस लड़ने के लिए मेरा नाम आया है. मेरे पास हजारों मैसेज और फोन आ रहे हैं. लोग मुझसे कह रहे हैं कि आप ही इस केस को लड़ें.
पीड़िता की ओर से निर्भया की वकील सीमा लड़ रही हैं, एक बार फिर आप दोनों आमने-सामने होंगे?
अच्छी बात है सीमा कुशवाहा केस लड़ रही हैं. वह मेरी छोटी बहन हैं. हम आमने-सामने नहीं बल्कि हम दोनों ही कोर्ट के सामने होंगे और अपना-अपना पक्ष रखेंगे.
आप पर आरोप है कि आप हमेशा आरोपियों की तरफ से ही केस लड़ते हैं?
यह सरासर गलत है. मैंने कितने ही मामले पीड़ितों की तरफ से लड़े हैं. कुछ बड़े नाम बता रहा हूं, हरिद्वार के गायत्री मिशन परिवार के चीफ प्रणव पांड्या के खिलाफ पीड़ित लड़की का केस मैंने ही लड़ा. यह केस अभी भी नैनीताल हाईकोर्ट में चल रहा है. यहां तक कि पुलिस इस मामले में 164 के बयान भी नहीं करा पाई थी, वह भी मैंने ही कराए थे. दिल्ली के द्वारका की पॉक्सो पीड़िता का एक केस है. जिसमें हाईकोर्ट ने नाबालिग की शादी कराने तक का आदेश दे दिया था, यह केस अभी सुप्रीम कोर्ट में है और मैं लड़ रहा हूं. राजस्थान में अनुराधा चौधरी का मामला था. ऐसे ही कितने ही मामले हैं जो लोकप्रिय नहीं हो पाते लेकिन पीड़ितों के हैं और मैंने उन्हें इंसाफ दिलवाने के लिए बहुत मेहनत की है.
आपने जानबूझकर राम रहीम, हनीप्रीत, निर्भया हाथरस जैसे बहुचर्चित केस अपने हाथ में लिए हैं?
ऐसा नहीं है. मेरे पास जो मामला आता है मैं लड़ता हूं. आप हनीप्रीत को भी पीड़िता क्यों नहीं समझ रहे. वह भी महिला है. उसमें मैं पीड़िता की तरफ से ही हूं. इसके अलावा राम रहीम, निर्भया और हाथरस के मामलों में भी मुझे अप्रोच किया गया. किसी केस को बहुचर्चित मीडिया बनाता है. मैं इस चक्कर में नहीं पड़ता हूं. एक वजह और है कि पीड़ित के पास सरकार, सरकारी वकील, पुलिस और आम जनता सब होते हैं. इनके लिए कोर्ट के अंदर ज्यादातर काम सरकारी वकील, अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल ही करते हैं लेकिन आरोपी के साथ इनमें से कोई नहीं होता, उसे अपना वकील खुद ही रखना होता है जो इनका पक्ष रखता है. पीड़ित प्राइवेट वकील न भी रखे तो चलेगा लेकिन आरोपी को तो रखना ही पड़ेगा. यही वजह है कि आरोपियों का केस मेरे पास अक्सर ही आ जाता है.
आप लोग कोर्ट में एक दूसरे के विपक्ष में होते हैं क्या बाहर भी ऐसा ही होता है?
कोर्ट में हम लोग अपनी अपनी ड्यूटी करते हैं. हमें केस लड़ना है और पूरी ईमानदारी और वफादारी से लड़ना है बस यही मन में रहता है. बाकी सभी वकील हैं अब इनमें कोई जूनियर है कोई सीनियर है तो एक दूसरे से सीखते हैं, बोलते हैं, आपस में जरूरी प्वाइंट डिस्कस करते हैं. सभी भाई बंधु हैं.
आपने अभी तक कितने केस लड़े हैं, इस दौरान की कोई खास बात?
मैंने हजारों केस लड़े हैं. अपराध और अपराधी को लेकर भी ठीक समझ है. मैंने क्रिमिनोलॉजी में डॉक्टरेट किया है तो केस सामने आने पर ही अंदाजा हो जाता है कि अपराधी कहां तक जा सकता है और क्या कर सकता है.
हाथरस केस में आपको क्या लगता है?
इस पर कुछ भी कहना ठीक नहीं है लेकिन इतना तो कहूंगा कि इस केस में मेनिपुलेशन काफी है. इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही मीडिया ट्रायल न हो. अपराध अपराध है न कि सवर्ण और दलित की लड़ाई इसमें दिखाई जाए. अपराधी को दंड मिले. कोई बेगुनाह न फंसे.