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IAS की तैयारी छोड़ कर रहीं मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश, NASA ने दिया यह खास ऑफर

Success Story Basti Girl Anu Shri: ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, लहरों से डर कर नौका कभी पार नहीं होती’, यह पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती है बस्ती के गांधी नगर की रहने वाली अनुश्री पर। अनुश्री आज देश की बेटियों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं। महिला सशक्तीकरण का सबसे अच्छा उदाहरण अनुश्री को कह सकते हैं। अनुश्री आईएएस की तैयारी छोड़कर अपने सपनों को उड़ान देने में लग गयी। इनका सपना मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश करना है। मंगल ग्रह पर जाना है। इसी सपने को उड़ान देने को लिए वह जुट गयी और आज उन्हें नासा ने मंगल ग्रह विशेष अभियान के लिए आमंत्रित किया है।

इस घटना ने किया प्रेरित अनुश्री के पिता गांधीनगर में रहते हैं। वह रेलवे में अधिकारी हैं। माता सुनीता गृहणी हैं। वह बताते हैं बेटी बचपन से ही पढ़ने में कुशाग्र थी। हम सभी परिवार के लोग चाहते थे कि बेटी प्रशासनिक अधिकारी बनें। इसके लिए उसने तैयारी भी शुरु कर दी। 2003 में लखनऊ में तैयारी के दौरान कल्पना चावला की अंतरिक्ष अभियान से लौटते समय मौत की घटना ने अनुश्री को झकझोर दिया। इसी के बाद उसने मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश का अपना लक्ष्य बना लिया।

इंग्लैड से की है पीएचडी अनुश्री दृढ़ इच्छा शक्तिऔर मेहनत से आज नासा तक जा पहुंची हैं। इससे पहले अनुश्री ने इंग्लैड के काल चेस्टर सिटी में रहकर माइक्रो आइट्रोलॉजी अर्थात स्पेस विषय से पीएचडी की डिग्री इसी साल हासिल की है।

परास्नातक करने के दौरान अनुश्री ने लखनऊ में बायो एक्सिस डीएनई रिसर्च सेंटर से बायो टेक्नोलॉजी में शाॅर्ट टर्म प्रोजेक्ट का प्रशिक्षण लेकर अपने जीवन की दिशा मोड़ दी। इसी बीच इंग्लैंड की एक निजी संस्था यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्स ने एमएससी का ऑफर दिया, जिसे अनुश्री ने स्वीकार कर लिया।

यूटा रेगिस्तान में ले चुकी हैं प्रशिक्षण वहां पढ़ाई के दौरान अमेरिका की एक निजी कंपनी ने मंगल ग्रह अभियान के लिए यूटा के रेगिस्तान में प्रशिक्षण के लिए प्रस्ताव दिया। यहां भारत से अनुश्री के अलावा सात देशों के प्रशिक्षणार्थियों के साथ मंगल ग्रह के वातावरण में रहने का प्रशिक्षण दिया गया। अनुश्री बताती हैं कि प्रशिक्षण के दौरान उन्हें हैब से बाहर आने पर पंद्रह किलो का स्पेस सूट पहनकर काम कराया जाता था।

दो माह तक रह चुकी हैं उत्तरी ध्रुव पर दो माह नार्थ पोल यानी उत्तरी ध्रुव के करीब प्रशिक्षण दिया गया, जहां दो माह में कभी रात नहीं देखी। इंग्लैंड में मंगल ग्रह से संबंधित वैज्ञानिक प्रयोग के लिए धरती के 1.1 किमी नीचे नमक की खदान में पंद्रह दिन का प्रशिक्षण मिला।

मंगल ग्रह के लिए समर्पित है जीवन अनुश्री ने कहा कि उनका जीवन अब मंगल ग्रह पर जीवन की खोज के लिए समर्पित है। कहती हैं कि मिशन अंतरिक्ष का सफर अभी लंबा है। फिर भी मंगल ग्रह के अभियान की पहला पायदान अब मिल गया है। इसी के सहारे मंगल ग्रह तक पहुंचने का सपना साकार होगा।

युवाओं को दी यह सीख अनुश्री ने कहा कि कठोर परिश्रम और दृढ़ इच्छा शक्ति से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। सतत प्रयास और धैर्य से हर सफलता हासिल की जा सकती है।

 

 

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