कारागार से बाहर निकलने में मुख्तार अंसारी बिदक रहा था। इसके लिए उसने रीढ़ में तेज दर्द होने का बहाना भी किया। डॉक्टरों ने चेककर फिट बोला तो उनसे अभद्रता की। कहा, दर्द के हालत में कहीं नहीं जा पाऊंगा। हालांकि, डॉक्टरों की रिपोर्ट के आगे मुख्तार की एक न चली और सोमवार सुबह कारागार से पेशी के लिए निकलना पड़ा।
सूत्रों के मुताबिक, रविवार देर शाम ही मुख्तार को इसकी पुख्ता जानकारी हो गई थी कि उसे सोमवार को लखनऊ पेशी पर ले जाया जाएगा। इससे बचने के लिए उसने देर रात रीढ़ में तेज दर्द होने की बात कही। रात को जब तीन सदस्यीय डॉक्टरों का पैनल जांच के लिए पहुंचा तो उन्हें भी तेज दर्द होने की बात कही। कहा कि रीढ़ में असहनीय दर्द हो रहा है। दर्द इतना है कि चला नहीं जा रहा है। इस हालत में कहीं भी जा पाना नामुमकिन है। डॉक्टरों के पैनल ने जांच कर दवाएं भी दीं। बावजूद इसके, मुख्तार कारागार से बाहर निकलने के लिए तैयार नहीं था।
डॉक्टरों ने जब जांच के बाद मेडिकली फिट लिखा तो मुख्तार का पारा चढ़ गया। डॉक्टरों से अभद्रता भी की। लेकिन डॉक्टरों की रिपोर्ट के आगे मुख्तार की एक भी चाल सफल न हो सकी। उसे सोमवार सुबह लखनऊ पेशी के लिए ले जाया गया। इस बाबत प्रभारी जेल अधीक्षक वीरेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि डॉक्टरों का पैनल और दो डिप्टी जेलर रात में बैरक तक गए थे। साथ में और कोई नहीं था। डॉक्टरों से अभद्रता की बात नहीं पता है और न ही डॉक्टरों ने इसकी जानकारी दी।