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महुआ की किस्मत का फैसला आज, लोकसभा में कैश-फॉर-क्वेरी मामले में की रिपोर्ट पेश

महुआ की किस्मत का फैसला आज, लोकसभा में कैश-फॉर-क्वेरी मामले में की रिपोर्ट पेश

संसद के शीतकालीन सत्र का शुक्रवार को पांचवां दिन है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की सदस्यता से जुड़ी एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट शुक्रवार को लोकसभा में पेश हो गई। रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट पेश होते ही सदन में हंगामा हो गया। टीएमसी समेत विपक्ष के सांसदों ने नारेबाजी की हंगामे को देखते हुए लोकसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।

रिपोर्ट पेश होने के बाद महुआ मोइत्रा संसद से बाहर चली गईं। उन्होंने कहा, हमें अभी तक यह नहीं मिला है। मुझे अपना दोपहर का भोजन करने दो और वापस आने दो। जो भी होना है, दोपहर 2 बजे के बाद होगा। उधर, RSP सांसद एन के प्रेमचंद्रन ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा है उन्होंने कहा कि अभी रिपोर्ट पेश करना और प्रस्ताव लाना ठीक नहीं है। सांसदों को रिपोर्ट पढ़ने का समय देना चाहिए और रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, सुदीप बंदोपाध्याय समेत विपक्षी सासंदों ने लोकसभा स्पीकर से मुलाकात की है।

जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है: महुआ मोइत्रा

वही रिपोर्ट पेश होने से पहले महुआ मोइत्रा ने कहा था कि मां दुर्गा आ गई है, अब देखेंगे…जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। उन्होंने ‘वस्त्रहरण’ शुरू कर दिया है और अब आप ‘महाभारत का रण’ देखेंगे। उनके इस बयान पर पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष Sukanata Majumdar ने कहा, महुआ मोइत्रा को एथिक्स कमिटी ने बुलाया था, वो बौखला कर भाग गईं। यही दर्शाता है। सांसद होकर आप ऐसा जुर्म नहीं कर सकते है। उन्होंने जो किया वो क्राइम है।

कैश-फॉर-क्वेरी केस में फंसी हैं महुआ

बता दें कि टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगा है। इसी पर विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने 9 नवंबर को एक बैठक में ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ के आरोप पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट तैयार की थी। इस कमेटी के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। जिसमें कांग्रेस सांसद परनीत कौर भी शामिल थीं, जिन्हें पार्टी ने पहले निलंबित कर दिया गया था। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों से संबंधित पैनल के 4 सदस्यों ने असहमति नोट पेश किया था। वहीं विपक्षी दल के सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ बताया था।

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