विधान भवन के सामने खुद को आग लगाने वाली महिला अंजली तिवारी की मौत हो गयी और अंजली की मौत से पहले सियासी ड्रामा भी चल पड़ा । योगी सरकार ने कांग्रेस नेता और पूर्व राज्य पाल सुखदेव प्रसाद के बेटे आलोक प्रसाद की आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन हाथरस कांड की तरह अंजलि के आत्मदाह मामले में तमाम ऐसे सवाल है जो योगी सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहे है।
अमर उजाला के अनुसार अंजलि का मौत से पूर्व बयान नहीं हो पाया है। आखिर अधिकारियों ने अंजलि का मरने से पहले बयान क्यों नहीं लिया। क्या अंजलि के बयान से कोई बड़ा बखेड़ा खड़ा हो सकता था। यह अधिकारियों की चूक है या फिर फिर सोची समझी साजिश। दूसरा बड़ा सवाल योगी सरकार की कार्यवाही पर है पुलिस ने अभी तक आत्मदाह की असल वजह पर जाने की दिशा में पड़ताल शुरू नहीं की है।

आखिर अंजलि क्यों परेशान थी उसे पूर्वांचल के महराजगंज से लखनऊ क्यों आना पड़ा। अगर महराजगंज की पुलिस और प्रशासन ने अंजलि को राहत दी होती तो वो आत्मघाती कदम न उठाती। योगी सरकार को मुद्दों पर भी विचार करना चाहिए लेकिन अंजलि की मौत को सियासत की चादर से ढकने की कोशिश चल रही है।