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Maratha reservation activist Manoj Jarange Patil ends hunger strike sets Jan 2 deadline for quota

Maratha Reservation: मनोज जारांगे ने खत्म किया 9 दिन पुराना अनशन, सरकार को दी 2 महीने की मोहलत

मराठा आरक्षण को लेकर पिछले 9 दिनों से कार्यकर्ता मनोज जारांगे अनशन कर रहे थे, हालांकि अब उन्होंने अपना अनशन समाप्त कर दिया है। अनशन खत्म करने के साथ ही उन्होंने सरकार से दो महीने में भीतर आरक्षण का मुद्दा सुलझाने को कहा है। महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों की तरफ से अनशन खत्म करने के लिए मनाने के बाद उन्होंने कहा कि, जब तक सभी मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक अपने घर में दाखिल नहीं होंगे। जरांगे ने कहा कि, अगर दो महीने में कोई निर्णय नहीं लिया गया तो मुंबई में मराठा आरक्षण आंदोलन का वो नेतृत्व करेंगे। गुरुवार (2 नवंबर) को महाराष्ट्र के चार मंत्रियों ने मनोज जरांगे से मुलाकात की। उनकी अपील पर जरांगे ने अपना अनशन खत्म करने का फैसला लिया।

जालना में मनोज जरांगे ने लोगों को संबोधित किया। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार को समय देना चाहिए तो इस पर वहां मौजूद जनता ने ‘हां’ में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि, ‘महाराष्ट्र भर के हमारे सब भाइयों को आरक्षण मिले, ये हमारी भूमिका है। इसलिए मैंने थोड़ा वक्त देने की सहमति दी है। इतने दिनो से हमने इंतजार किया है। थोड़ा और भी करते हैं. जब तक आरक्षण नहीं मिलेगा हम रुकने वाले नहीं हैं।’

जरांगे ने कहा कि, ‘सरकार सीधे तौर पर सभी मराठों को कुनबी सर्टिफिकेट देने पर सहमत हुई है। मराठवाड़ा में 13 हजार कुनबी डिटेल्स मिली थी जिसके आधार पर आरक्षण देने की बात सरकार ने की थी, जिसे हमने नकार दिया और अब सरकार सीधे तौर पर आरक्षण देने की बात मानी है।’

गौरतलब है कि मराठा आरक्षण का आंदोलन महाराष्ट्र में हिंसक हो गया था। कई नेताओं के घरों और दलों के दफ्तरों में आग लगा दी गई थी। पूरे राज्य में करीब 12 करोड़ का नुकसान हुआ। 160 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। प्रशासन ने आंदोलन के हिंसक रूप को देखते हुए राज्य के बड़े नेताओं के घरों और राजनीतिक दलों के दफ्तरों की सुरक्षा को बढ़ा दिया था।

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