वाराणसी : उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को करीब 36 साल पुराने फर्जी शास्त्र रखने के मामले में वाराणसी की अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। साथ ही 2 लाख 2 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। मुख्तार अंसारी पर आरोप था कि माफिया ने डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर कर शास्त्र खरीदा था। इस मामले में मंगलवार को सुनवाई पूरी होने के बाद वाराणसी के एमपी / एमएलए कोर्ट ने मुख्तार को दोषी पाया था। मंगलावर को मुख्तार अंसारी को दोषी करार देते हुए बुधवार को मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई गई। अधिवक्ताओं के अनुसार कोर्ट में मुख्तार अंसारी ऑनलाइन माध्यम से जुड़ा हुआ था और जब कोर्ट ने आजीवन कारावास सहित अर्थदंड की सजा सुनवाई ,तो मुख्तार अंसारी के चेहरे की रंगत उड़ गई थी।
मुख्तार अंसारी को सजा सुनाए जाने को लेकर अधिवक्ता नित्यानंद राय ने मीडिया को बताया कि फर्जी शास्त्र रखने के मामले में दोषी पाए गए मुख्तार अंसारी को धरा 420/ 120 बी में 7 वर्ष की सजा के साथ 50 हजार रुपए का जुर्माना, धारा 467/120 बी में आजीवन कारावास के साथ 1 लाख रुपए कि सजा और 468/120 बी में 7 वर्ष के साथ 50 हजार रुपए कि सजा सुनाई है। इसके अलावा मुख्तार अंसारी को आर्म्स एक्ट में 6 माह कि सजा और 2 हजार की सजा सुनाई गई है। अधिवक्ता के अनुसार चार धाराओं में मुख्तार अंसारी को हुई सजा कुल 51 पेज में जज में फैसला लिखित दिया है।
जाने क्या था फर्जी शास्त्र रखने का मामला
मुख्तार अंसारी को फर्जी शास्त्र रखने का मामल वर्ष 10 जून 1987 का है, जब मुख्तार अंसारी ने दो नाली बंदूक के लाइसेंस के लिए डीएम के कार्यालय में आवेदन किया। जिलाधिकारी और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर कर मुख्तार अंसारी ने फर्जी शास्त्र लिया। इस मामले में सीबीसीआईडी ने वर्ष 1990 में गाजीपुर के मुहमदाबादा थाने में मुकदमा दर्ज किया। इस मुकदमे में मुख्तार अंसारी और तात्कालिक ADM सहित 5 अज्ञात को आरोपी बनाया गया। वही मामले में मुख्तार अंसारी के खिलाफ वर्ष 1997 में आरोप पत्र दाखिल किया गया। वही इस मामले में वाराणसी एमपी / एमएलए कोर्ट ने वर्ष 12 मार्च 2024 को मुख्तार अंसारी को दोषी पाया। जबकि 13 मार्च 2024 को मुख्तार अंसारी को अधिकतम आजीवन कारावास और 2 लाख 2 हजार रुपए की सजा सुनाई है।