झारखंड के कोडरमा में बैठे जालसाजों ने ठगी का नया तरीका अपनाया है। ये जालसाज वेबसाइट बनाकर एस्कार्ट सर्विस का झांसा देते है. वहीं जब कोई व्यक्ति इनके झांसे में आ जाता तो खूबसूरत लड़कियां सप्लाई करने के नाम पर मोटी उगाही करते हैं. यही नहीं, खाते में पैसा आने के बाद ये जालसाज अपना मोबाइल नंबर बंद कर देते हैं. झारखंड की कोडरमा पुलिस ने ऐसे ही एक गिरोह का खुलासा किया है.
बीते एक साल से सक्रिय इस गिरोह ने अब तक करीब 150 से अधिक लोगों को शिकार बनाया है. वहीं इन लोगों से 25 लाख रूप से से अधिक की ठगी की है. कोडरमा पुलिस के मुताबिक इन जालसाजों ने स्कार्ट सर्विस के लिए एक वेबसाइट बनाई है. अक्सर लोग अपना अकेलापन दूर करने या मनोरंजन के लिए इंटरनेट खंगालते हैं. इसी दौरान इनकी वेबसाइट को भी सर्च कर लेते हैं. आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में बताया है कि वेबसाइट पर खूबसूरत लड़कियों की तस्वीरें लगी हैं.
इनसे बातचीत करने से लेकर इनके साथ रात गुजारने तक के रेट भी लिखे हैं. इसी के साथ वेबसाइट में कुछ मोबाइल नंबर भी लिखे हैं. लोग अक्सर इन नंबरों पर फोन करते हैं और इनके जाल में फंस जाते हैं. दरअसल जालसाज लड़कियों की आवाज में बात करते हैं और फोन करने वालों से मोटी रकम अपने खाते में जमा करा लेते हैं. चूंकि इस तरह के मामले में अक्सर लोग शिकायत तक नहीं करते. इससे जालसाजों का मनोबल बढ़ जाता है.
गुप्त इनपुट पर हुआ खुलासा
कोडरमा एसपी के मुताबिक पिछले दिनों उन्हें इसी तरह का एक गुप्त इनपुट मिला था. उन्होंने इस इनपुट की पड़ताल कराई तो पूरा मामला खुल कर सामने आ गया. इसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के मुताबिक इन जालसाजों ने केवल झारखंड ही नहीं, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान के भी कई लोगों को शिकार बनाया है. आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि इन्होंने एक साल पहले यह धंधा शुरू किया और इस अवधि में 150 से अधिक लोगों को शिकार बनाया है.
इनमें से किसी से दस हजार तो किसी 50 हजार रुपये वसूल करते हुए अब तक 25 लाख से अधिक की उगाही की है. पुलिस के मुताबिक फिलहाल तीन लोगों को पकड़ा गया है. इनमें एक नाबालिग है. हालांकि पुलिस को आशंका है कि यह एक दर्जन से अधिक लोगों का गिरोह है. पुलिस को इनमें से कुछ आरोपियों के बारे में इनपुट भी मिला है. अब पुलिस गिरोह के बाकी जालसाजों की धरपकड़ के लिए दबिश दे रही है. पुलिस के मुताबिक आरोपी अपने शिकार को फंसाने के बाद उसे क्यूआर कोड भेज कर वसूली करते थे. इससे शिकार को भी पता नहीं चलता था कि पैसा किसके खाते में जमा हो रहा है.