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होली पर गुलाल, दीवाली पर पटाखे बेचकर करते थे गुजारा कभी, एक बम धमाके ने योगी के मंत्री को बनाया हीरो

नन्द गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी… 25 मार्च को भाजपा जब अपने कैबिनेट मंत्रियों का ऐलान कर रही थी तब ये नाम बुलाया गया। ये वह शख्स हैं जिन्हें पैसे की कमी की वजह से 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। ये वही शख्स हैं, जिन्हें एक बम धमाके में मारने की कोशिश हुई थी।

योगी के मंत्रियों की सीरीज में आज कहानी उस नेता की जिसने पाई-पाई जोड़कर राजनीति शुरू की।

अब इतने पैसे हैं कि बड़े-बड़े बिजनेसमैन सलाम करते हैं। चलिए कहानी शुरू से बताते हैं…

होली पर गुलाल, दीवाली पर पटाखे बेचकर करते थे गुजारा

साल 1986, नंदी 12 साल के थे। पिता डाक विभाग में काम करते थे। मां घर में सिलाई-बुनाई का काम करती थीं। 5 लोगों का परिवार, जैसे-तैसे दो वक्त की रोटी के पैसे जुट पाते थे।

पैसे नहीं थे। इसलिए नंदी ने पढ़ाई के साथ काम शुरू कर दिया। वह होली पर सड़क किनारे गुलाल तो दिवाली पर पटाखे बेचने लगे। इससे वो जो कुछ पैसे कमाते उससे अपने परिवार के लिए रोटी का इंतजाम करते।

ग्रेजुएशन में नाम लिखाने के पैसे नहीं थे तो छोड़ दी पढ़ाई
साल 1991, घर में पैसे की कमी थी। इसलिए 12वीं के बाद नंदी को पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद इधर- उधर से पैसे इकट्ठा कर उन्होंने एक ब्लैक एंड व्हाइट टीवी खरीदी।

इलाके में पहला घर था जहां टीवी आई थी। लोगों को 50 पैसे में महाभारत दिखाकर वो थोड़े पैसे कमाने लगे।

एक-एक पाई जोड़कर शुरू की मिठाई की दुकान, बस यही से शुरू हुई असल कहानी

साल 1992, अबतक कुछ पैसे जमा हो गए। जिससे एक मिठाई की दुकान शुरू की। बस इसी दुकान से उनकी तरक्की का कारवां चल पड़ा।

मिठाई की दुकान से नंदी ने इतने पैसे बना लिए कि वो बिजनेसमैन की तरह सोचने लगे। कुछ दिन बाद थोड़े पैसे और कुछ जुगाड़ से नंदी ने एक ट्रक लिया। साथ में दवाओं की एजेंसी खोलकर काम शुरू किया।

साल 1994, नंदी ने अपने रिश्तेदार के साथ मिलकर ईंट भट्ठे का बिजनेस शुरू किया। धीरे-धीरे नंदी से वह नंदी ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक हो गए।

लड़की के घरवाले नहीं मान रहे थे तो लड़की के साथ भागकर की शादी

साल 1995, नंदी और अभिलाषा मिश्रा के घर में महज 500 मीटर की दूरी थी। एक-दूसरे से प्यार हुआ। बात शादी तक पहुंची लेकिन घरवाले नहीं माने।

अभिलाषा ब्राह्मण थीं। परिवार नहीं चाहता था कि उनकी बेटी की शादी दूसरी कास्ट में हो। परिवार को मनाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। दो साल साथ रहने के बाद साल 1995 में दोनों ने भागकर शादी कर ली।

‘केशरीनाथ जितने पैसे खर्च करेंगे, उससे दोगुना करूंगा, बस टिकट दीजिए बहनजी’
साल 2007, अब तक नंदी प्रयागराज के बड़े व्यापारी बन चुके थे। तभी उन्होंने नेता बनना तय किया। पार्टी चुनी बसपा। पार्टी के बड़े नेता इंद्रजीत सरोज के पास गए और कहा, “हमको इलाहाबाद शहर दक्षिणी सीट से चुनाव लड़ना है।”

इंद्रजीत बोले, “पहले कभी चुनाव लड़ा है?” नंदी ने कहा, “नहीं, लेकिन अब विधायकी लड़ूंगा।” इंद्रजीत बोले दो दिन बाद बहन जी आ रही हैं तुमको मिलवाएंगे।

दो दिन बाद इंद्रजीत नंदी को मायावती के सामने लेकर खड़े हो गए। मायावती ने कहा, “तुमको पता है ना उस सीट पर केशरीनाथ त्रिपाठी बहुत पैसा खर्च करते हैं। तुम कर पाओगे?”

नंदी बोले- “हां।” मायावती बोलीं, “कितना खर्च कर पाओगे?” नंदी बोले “केशरीनाथ त्रिपाठी से दोगुना।”

मायावती ने भरोसा किया और टिकट दे दिया
मायावती ने इलाहाबाद शहर दक्षिणी से नंदी को टिकट दे दिया। उन्होंने बीजेपी के केशरी नाथ त्रिपाठी को हरा दिया।

वैश्य समाज के नेता के रूप में नंदी आगे बढ़े तो मायावती ने इन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया।

रिमोट बम से नंदी पर हमला हुआ, नंदी की अंतड़ी बाहर आ गई

12 जुलाई 2010, बसपा सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ सुबह अपने घर से करीब 1 किलोमीटर दूर रोज की तरह पूजा करने गए। मंदिर पहुंचे और गाड़ी से उतरे ही थे कि स्कूटी में रखे बम को रिमोट से उड़ा दिया गया। धुएं का गुबार उठा। धुआं छटा तो इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार विजय प्रताप सिंह और मंत्री के गनर की लाश पड़ी थी।

नंदी का पेट फट गया, आंते बाहर आ गई। हथेली के चीथड़े उड़ गए। नंदी किसी तरह से भागकर पड़ोसी के घर में घुसे। दूसरा ड्राइवर आया और सीधे रास्ते के बजाय गाड़ी को शहर का चक्कर लगाते हुए एसआरएन पहुंचे। आठ दिन तक नंदी को होश नहीं रहा। 4 महीने तक अस्पताल में रहे।

जब वो वापसी कर रहे थे तो लोगों के बीच खुसुर-फुसुर शुरू हो गई कि क्या नंदी का फिर से वही दम-खम दिखेगा या नहीं। नंदी ने वापसी की। पार्टियां बदलीं लेकिन नंदी का रुतबा बरकरार रहा।

साल 2012, पहली बार जनता ने नकार दियाः बसपा से इलाहाबाद दक्षिण सीट पर चुनाव लड़े। 414 वोटों से हार गए।

साल 2014, मायावती ने नंदी को पार्टी से निकाल दियाः उसी साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नंदी कांग्रेस में शामिल हो गए। इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा, हार गए।

तीन साल नंदी राजनीति से बिलकुल गायब रहे, फिर की जबरदस्त वापसी
3 साल बाद…

साल 2017, बीजेपी के साथ आएः विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें इलाहाबाद दक्षिण सीट से मैदान में उतारा। 28 हजार वोटों से जीते। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए।

साल 2022, बीजेपी ने दोबारा मौका दियाः भाजपा ने नंदी को दोबारा मौका दिया। प्रयागराज दक्षिण से 10 हजार 777 वोटों से जीतकर दोबारा कैबिनेट में शामिल हो गए।