केंद्र सरकार ने कुसुम योजना का विस्तार देते हुए, इससे कुल 30,800 मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है. आपको बता दें कि, इस योजना पर सरकार की 34,035 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इस योजना के तहत अगले दो वित्त वर्षो में कुल 35 लाख किसानों को सोलर चालित पंप चलाने की सुविधा भी दी जाएगी. इस योजना से देश को ना सिर्फ डीजल चालित सिंचाई पंपों से मुक्ति मिलेगी बल्कि किसानों को अतिरिक्त धन बचाने का भी मौका मिलेगा.
कुसुम योजना का लक्ष्य 2021-23 तक-
इस कुसुम योजना के तहत सोलर ऊर्जा से सिंचाई पंप चलाने वाले किसान अपनी अतिरिक्त बिजली वापस राज्यों की बिजली वितरण इकाइयों को बेच सकेंगे और इससे अतिरिक्त कमाई कर सकेंगे। वैसे यह योजना मार्च, 2019 में ही लागू की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार के तहत रिनीवल मंत्रालय ने इसका विस्तार कर वर्ष 2021-22 व वर्ष 2022-23 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है.
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किसानों को मिलेगा 9600 मेगावाट बिजली-
रिनीवल मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना में बताया गया है कि. पहले चरण में किसानों को दो मेगावाट तक बिजली बनाने वाले सोलर प्लांट लगाने में मदद की जाएगी. इससे कुल 10 हजार मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा गया है और केंद्र सरकार की तरफ से 3325 करोड रुपये की मदद दी जाएगी. दूसरे चरण में 20 लाख सोलर चालित पंप लगाए जाएंगे जिससे 9600 मेगावाट बिजली बनेगी. तीसरे चरण में 15 लाख सोलर पंप लगाए जाएंगे और कुल 11,200 मेगावाट बिजली बनेगी.
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केंद्र सरकार का मानना है कि कुसुम योजना किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में अहम दिशा निभा सकता है. इससे एक तरफ किसानों की सिंचाई लागत कम हो जाएगी जबकि दूसरी तरफ उनके लिए अतिरिक्त कमाई का रास्ता भी खुल जाएगा. सोलर चालित पंप को स्थानीय ग्रिड से जोड़ा जाएगा. किसान अपनी जरूरत से ज्यादा बिजली ग्रिड को बेच सकेंगे.