राजनीतिक दलों में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर हचलच तेज हो गई है। इस बार एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है। ऐसे में इंडिया गठबंधन के फिक्स वोटरों पर सेंध लगाने और अपनी मुस्लिम विरोधी इमेज को सुधार के लिए भाजपा ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है। इसके लिए मोदी ‘भाईजान’ बन गए हैं। इसके पीछे का मकसद क्या है आइए जानते है।
यह सच है कि मुस्लिम वर्ग बीजेपी को वोट नहीं देता है। केंद्र में मोदी के आने के बाद बीजेपी की मुस्लिमों से दूरी और बढ़ी है। शायद यही वजह है कि भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा था। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 80 फीसदी बनाम 20 फीसदी का मुद्दा छाया था। ये आंकड़े यूपी में हिंदू और मुस्लिमों के हैं।
20 फीसदी की खाई को पाटना जरूरी
इस बार लोकसभा चुनाव में 28 विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर बीजेपी से मुकाबला करेंगी। इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के पाले में मुस्लिम वोटर हैं। यूपी में मुसलमान समुदाय का वोट कांग्रेस या सपा को मिलता है और छिटपुट वोट बसपा के पास भी चला जाता है। ऐसे में बीजेपी को यह समझ में आ गया है कि मुस्लिम विरोधी इमेज से पार्टी को नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए 20 फीसदी की खाई को पाटना जरूरी है।
यूपी की सभी लोकसभा सीटों पर होगा भाईजान कार्यक्रम
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने शुक्रिया मोदी भाईजान कार्यक्रम स्टार्ट किया है। मुस्लिम महिलाएं इस मंच पर आकर अपनी बात कहेंगी। साथ ही मोदी सरकार की योजनाओं से उनकी जिंदगी में क्या बदलाव आया है, उसके बारे में भी बताएंगी। यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर भाजपा का यह कार्यक्रम होगा। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि तीन तलाक के खिलाफ कानून लाने के बाद कुछ मुस्लिम महिलाएं भाजपा को वोट कर रही हैं, लेकिन यह न के बराबर है।
विश्वास जीतने के लिए चलाया गया प्रोग्राम
शुक्रिया मोदी भाईजान कार्यक्रम मुसलमानों का विश्वास जीतने के लिए चलाया जा रहा है, लेकिन ये कैसे संभव होगा। अगर पुराने आंकड़ों पर नजर डाले हैं तो पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक भी मुस्लिम को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया था। यही हाल उत्तर प्रदेश के दो विधानसभा चुनाव 2017 और 2022 में रहा। क्या भाजपा भविष्य में आगे बढ़कर मुस्लिम बहनों को टिकट देगी। अगर मुस्लिम वर्गों का वोट लेना है तो बीजेपी को यह कार्य करना पड़ेगा। हालांकि, ये तो लोकसभा चुनाव में ही पता चलेगा कि भाजपा मुस्लिमों को उम्मीदवार बनाती है या नहीं।