रूस की बनायीं हुई कोरोना वैक्सीन पर उठ रहे है दुनिया के कई सवाल जो बिलकुल ही बेबुनियाद है। यहाँ तक के रूस ने कोरोना वैक्सीन की रेगुलेटरी मंज़ूरी तक लेली है जिसमे सिर्फ दो महीने से भी कम ह्यूमन ट्रायल चला। आपको यह भी बता दे की कई देश जैसे स्पेन, जर्मनी,अमेरिका और फ्रांस को रूस की बनायीं हुई वैक्सीन पे ज़रा सा भी भरोसा नहीं।
न्यूज़ एजेंसी को रूस की स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने बताया की ‘रूस की वैक्सीन पर उठाए जा रहे सवाल बाजार प्रतियोगिता से प्रेरित लग रहे रहैं और लोग अपने विचार रखने की कोशिश कर रहे हैं जोकि पूरी तरह से निराधार हैं.’ मिखाइल ने यह भी कहा की जल्दी ही लोगो को वैक्सीन उपलब्ध की जाएग।
मिखाइल ने बताया की ‘मेडिकल वैक्सीन का पहला पैकेज अगले दो हफ्तों में लागू हो जायेगा जो सिर्फ खासतौर पर डॉक्टरों को मिलेगा। रूस के अधिकारियों की योजना अक्टूबर में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाने की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी रूस से इस वैक्सीन की चितवन करने को कहा है.एक तक की रूस की ये कोरोना वैक्सीन WHO की उन छह वैक्सीन सूची में नहीं शामिल है, रूस का कहना है कि वो अपनी वैक्सीन के उत्पादन के साथ ही इसके तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल भी जारी रखेगा.
रूस के इस कोरोना वैक्सीन पर यूरोप मीडिया और स्वास्थ्य अधिकारी तक सवाल उठा रहे हैं। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस वैक्सीन को सही तरीके से टेस्ट नहीं किया गया है। जेन्स स्पैन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि लाखों लोगों पर ये वैक्सीन लगाना खतरनाक हो सकता है. और ये वैक्सीन लगाने से लोगो की मौत भी हो सकती है।
वहीं इसाबेल इमबर्ट जो की यूरोप के प्रसिद्ध शोधकर्ता हैं, उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में इस महामारी का इलाज लाना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है. वहीं अमेरिका के प्रमुख संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथन फाउची ने भी रूस की इस वैक्सीन पर संदेह जताया है।
हालांकि रूस की इस वैक्सीन के पक्ष में भी कई देश हैं. फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने कहा कि वो इस वैक्सीन का टेस्ट खुद पर ही कराएंगे. उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि रूस ने ये वैक्सीन बनाकर मानवता के लिए बहुत अच्छा काम किया है. सबसे पहला प्रयोग मैं करूंगा.’ वहीं इजराइल ने कहा कि अगर ये वैक्सीन सही पाई जाती है तो वो इसे खरीदने की पेशकश करेगा.