सुल्तानपुर। नाबालिग ‘अमित चौरसिया’ हत्याकांड का राजफाश हो गया है। आशनाई में उसकी निर्मम हत्याकर शव को नहर में फेंका गया था। पुलिस ने उसकी नाबालिग प्रेमिका समेत चार को गिरफ्तार किया है। चार आरोपियों में प्रेमिका सहित तीन नाबालिगों को बाल सुधार गृह में भेजा गया है। जबकि एक को कोर्ट ने जेल भेजा है।बल्दीराय थानाक्षेत्र के बीही गांव निवासी अमित चौरसिया (14 वर्ष) पुत्र विजय पाल बीते 26 दिसंबर को शाम साढ़े पांच बजे घर से साइकिल से बल्दीराय बाजार में डेरी पर दूध देने गया था। डेरी पर दूध देकर वो वापस घर नहीं पहुंचा था। अमित का पिता बाहर रहता है। ऐसे में मां कुसमा ने थाने पर तहरीर दी, जिस पर गुमशुदगी दर्ज की गई थी। अगले दिन बल्दीराय कस्बे के निकट नहर के किनारे साइकिल, दूध का बर्तन व एक पैर का चप्पल मिला था। अमित बल्दीराय स्थित राममिलन सालिकराम ज्ञानोदय विद्यालय में कक्षा आठवीं में पढ़ता था। घटना के आठवें दिन थानाक्षेत्र के सराभारी गांव के निकट शारदा सहायक खंड 16 नहर पुल के पास शव मिला था।
वही अगले दिन पोस्टमार्टम में ये बात सामने आई कि उसके मुंह में कपड़ा ठूंस और गला दबाकर अमित को मारा गया। इसके बाद अज्ञात के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ।बबल्दीराय थानाध्यक्ष आर.बी सुमन की टीम लगी तो परत दर परत मामला खुलता गया। पुलिस की पड़ताल में ये बात सामने आई कि मृतक अमित का गांव की जिस किशोरी से प्रेम प्रसंग था वो पहले गांव के ही परशुराम तिवारी उर्फ सुधीर तिवारी से प्यार करती थी। पहले प्रेमी से अनबन के बाद जब किशोरी की अमित से बातचीत होने लगी तो ये बात परशुराम को नागवार गुजरी। उसने किशोरी पर बात नहीं करने का दवाब बनाया। लेकिन इधर बात आगे बढ़ चुकी थी। ऐसे में किशोरी प्रेमिका ने परशुराम से अमित को रास्ते से हटाने के लिए कहा।
जिसके बाद परशुराम ने हत्याकांड की स्क्रिप्ट लिखी। उसने गांव के ही दो दो किशोर साथियों को लिया और घटना वाले दिन नहर के पास उन्हें बैठा दिया। वो स्वयं रास्ते में अमित से मिला उसे समोसा खिलाया और फिर उसकी साइकिल पर बैठकर नहर की ओर से गुजरा। जहां उसके साथी पहले से बैठे थे।यहां इन सभी ने मिलकर अमित को जकड़ लिया और मुंह में कपड़ा ठूंस कर गला दबाकर मार डाला। उसके बाद शव नहर में फेक दिया। पुलिस ने आज जब परशुराम को बहुरावां बाजार मोड़ व अन्य को ग्राम बीही निदुरा से गिरफ्तार किया तब ये राज खुला। सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। जहां से परशुराम को जेल तो अन्य को बाल सुधार गृह भेजा गया है।