उत्तर प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही स्मॉग का खतरा भी बढ़ने लगा है। बनारस समेत पूर्वांचल के कई शहरों में बुधवार को स्मॉग की चादर छाई रही। धुएं का चैंबर बने शहरों में वातावरण में नमी घुलने के साथ ही स्मॉग का चारों ओर असर नजर आने लगा।
दरअसल बुधवार की सुबह तो आसमान साफ रहा लेकिन दोपहर में बादलों की सक्रियता के बीच वातावरण में धूल, धुएं और गुबार संग वायु प्रदूषक तत्व भारी होकर नीचे वातावरण में छा गए। ऐसा लगा मानो कोहरे की एक चादर बिछने लगी हो। इसी के साथ ही भारी और हल्के वायु प्रदूषक तत्व आसमान में छा गए और दिन चढ़ने के साथ ही एक स्मॉग की चादर मानो शहर में बिछ गई और ऊंचे स्थानों से देखने पर कोहरे सरीखा नजारा दिखने लगा। इसके साथ ही लोगों की आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत होने की वजह से लोगों के सामने सेहत की दुश्वारी सिर उठाने लगी।
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स्मॉग दो शब्दों धुंए (स्मोक) और कोहरे (फॉग) से मिलकर बना हुआ है। यह कुछ पीला या काला सरीखा कोहरा होता है जो वायु प्रदूषण के एक मिश्रण से बना होता है। इसमें नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर आक्साइड और कुछ अन्य कार्बनिक यौगिक होते हैं। स्मॉग न केवल मनुष्य के लिए बल्कि यह पौधों, जानवरों और पूरी प्रकृति के लिए हानिकारक है। इसकी चपेट में आने पर यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को पैदा कर सकता है। दीवाली के बाद से ही वाराणसी सहित पूर्वांचल के कई शहरों में स्मॉग का कहर एक बार फिर से छाया हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार बदलते मौसम में दमे के रोगियों की समस्या बढ़ जाती है। इसमें सांस का रास्ता फूल जाता है और सांस मार्ग सिकुड़ जाता है। इससे सांस की तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसे में वायु प्रदूषण, धूल, सिगरेट का धुआं आदि नुकसानदेह साबित होते हैं। इनके अलावा अस्थमा के लक्षण बढ़ने लगते हैं और अस्थमा अटैक भी हो सकता है। हृदय सम्बंधित रोग की संभावना बढ़ जाती है। छाती में जलन, खांसी की समस्या हो जाती है। कैंसर में मुख्य रूप से गले का कैंसर के मरीज बढ़ने लगते हैं। सांस की समस्या, सांस लेने में दर्द, आंखों में जलन जैसे कई रोगों में वृद्धि स्मॉग की वजह से होती है।