मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के गलत इस्तेमाल का मामला सामने आया है. ताजा मामला जबलपुर में सामने आया जहां एआई टेक्नोलॉजी के जरिए विधायक और पूर्व राज्य मंत्री का ऑडियो क्लोनिंग कर वायरल कर दिया गया है. ऑडियो में दोनों नेता किसी कार्यकर्ता से फोन पर बातचीत करते समय जमकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
ऑडियो वायरल होने के बाद मामला पुलिस के पास पहुंच गया है. दूसरी ओर से जिन नेताओं की आवाज में ऑडियो को वायरल किया गया है कि उन्होंने भी इस पूरे मामले की जांच की मांग की है. वायरल हो रहे ऑडियो में बोले जा रहे शब्द और लाइन करीब-करीब एक जैसी ही है बस आवाज में अंतर है.
एक वीडियो कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना की आवाज से वायरल हो रहा है दूसरा ऑडियो उत्तर मध्य विधानसभा क्षेत्र से आने वाले भाजपा नेता और पूर्व राज्य मंत्री शरद जैन का है. दोनों ही ऑडियो को फेसबुक के जरिए जमकर वायरल किया जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि पार्टी कार्यकर्ता से बात करते समय नेता किस तरह के शब्दों का उपयोग करते हैं और उनका बात करने का रवैया कैसा रहता है.
नेता बोले- वायरल ऑडियो में उनकी आवाज नहीं
इस पूरे मामले में कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना का कहना है कि वायरल हो रहे ऑडियो में उनकी आवाज नहीं है. उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने इस मामले को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और आरोपियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है. दूसरी ओर से पूर्व राज्य मंत्री शरद जैन ने भी ऑडियो की बात को नकारा है और उन्होंने इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बताया है. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.
राज्य में पहली बार राजनीतिक लोगों को बनाया गया निशाना
वहीं, पुलिस का दावा है कि ऑडियो क्लोनिंग का इस्तेमाल अब तक ठगी के लिए किया जाता था. साइबर ठग रिश्तेदारों की आवाज निकालकर लोगों से पैसों की मदद मांगते थे. साइबर सेल के पास इस तरह की कई शिकायते भी मिल चुकी है, लेकिन यह पहली बार हो रहा है जब ऑडियो क्लोनिंग का इस्तेमाल राजनीतिक लोगों पर किया जा रहा है. वायरल ऑडियो से जुड़ी शिकायत मिली है जिसकी जांच की जा रही है.
क्या हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एक्सपर्ट राय?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट ने भी कहा है कि किसी भी ऑडियो और वीडियो की क्लोनिंग की जा सकती है. इसके लिए ऑडियो सैंपल डालकर किसी भी व्यक्ति की आवाज को बनाया जा सकता है. कुछ सॉफ्टवेयर और टूल्स हैं जिनके जरिए यह काम आसानी से हो जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि साइबर सेल के पास भी ऐसी तकनीक है जो इस तरह के ऑडियो और वीडियो की जांच करके सच्चाई का पता लगा सकती है. ऐसे मामलों में बचाव का केवल एक ही तरीका है कि आप सीधे साइबर सेल में इसकी शिकायत दर्ज कराए.
कुल मिलाकर कहा जाए तो विधानसभा चुनाव अब केवल झंडा, बैनर पोस्टर तक ही सीमित नहीं रह गए हैं. इंटरनेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में इस बार का विधानसभा का चुनाव तकनीकी तौर पर भी लड़ा जाएगा. यह तो शुरुआत है हो सकता है कि आने वाले समय में इस तरह के और भी ऑडियो और वीडियो सामने आए जो चुनाव के दौरान सियासी गर्मी बढ़ने का काम करेंगे.