साल 1961 में औरैया जिले के पचदौरा गांव के एक बेहद गरीब घर में बच्चा जन्म लेता है। मां-बाप के अलावा उस बच्चे की 5 बहने थीं और एक भाई। उस बच्चे का जीवन गरीबी में गुजरता है और वो थोड़ा बड़ा हो जाता है। तभी बच्चे के मामा उसके पिता से कहते हैं, “आप हमारे गांव गंगदासपुर आ जाइए, हम आपको कुछ जमीन दे देंगे। बच्चों को पालने में आसानी होगी।” बाप सबको लेकर अपनी ससुराल चला जाता है।
वो लड़का मामा के यहां बड़ा होता है। उनका जीवन आराम से बीतने लगता है, लेकिन गांव वालों को उसके बहन-जीजा का वहां रहना पसंद नहीं आया। गांव वाले आए दिन मामा से झगड़ा करने लगे और उसकी जमीन हड़पने की कोशिश करने लगे। गांव वालों ने कई बार मामा की पिटाई भी की। पूरा गांव एक तरफ था और लड़के का मामा एक तरफ। उस लड़के से मामा की तकलीफ बर्दाश्त नहीं हुई और उसने हथियार उठा लिए।
आज डकैत की कहानी में, कहानी उसी लड़के निर्भय सिंह की जिसने 15 सालों तक चंबल में एकछत्र राज किया। उसे चंबल का सबसे अय्याश और आखिरी बड़ा डाकू क्यों कहा जाता है? आइए जानते हैं…
लालाराम का गैंग जॉइन करते ही गांव वालों का जीना हराम कर दिया
निर्भय हमेशा से गरीबी में जिया इसलिए अपना खर्चा निकालने के लिए छोटी-मोटी चोरी करता था। जब गांव वालों ने उसके मामा के साथ मारपीट की तो निर्भय भी उनसे जा भिड़ा। लेकिन अकेला निर्भय पूरे गांव के लोगों से कैसे ही जीत पाता। उसने सोचा, मेरे पास पैसे होंगे तो मैं अपनी एक गैंग बना लूंगा और गांव वालों से बदला ले पाऊंगा।”
साल 1986, निर्भय 25 साल का था। उसने जालौन जिले के चुरकी गांव के एक अमीर घर में डकैती डाल दी। अनुभव की कमी थी, इसलिए पकड़ा गया। पुलिस ने उसे लाठियां टूटने तक मारा और जेल में बंद कर दिया। अब निर्भय समझ चुका था कि उसको ट्रेनिंग की जरूरत है। वो अकेले दम पर डकैत नहीं बन सकता।

जेल से छूटते ही वो चंबल गया और उस समय के कुख्यात डकैत लालाराम के पैर पकड़ लिए। लालाराम ने उसे अपनी गैंग में शामिल कर लिया। गैंग में शामिल होते ही उसने दर्जनों अपहरण और लूट की घटनाओं को अंजाम दिया और लालाराम का खास बन गया।
गैंग में साख बनाने के बाद उसने मामा के गांव गंगादासपुर पर आए दिन हमला बोलना शुरू कर दिया। जब मन करता गैंग को लेकर गांव में घुस जाता। लोगों के साथ मारपीट करता और उनकी बेटियों के साथ रेप करता। गांव के लोगों का जीना हराम हो चुका था।
जिस गांव में जाता वहां रेप करता, सीमा परिहार ने गैंग से निकाल दिया
इसी बीच उसे लालाराम की गैंग की महिला डकैत सीमा परिहार से प्यार हो जाता है। कुछ दिनों बाद सीमा भी उसे अपना दिल दे बैठती है। लालाराम दोनों की शादी करा देता है और खुद कन्यादान लेता है।
शादी के बाद 2 साल तक सब ठीक चलता है फिर सीमा को पता चलता है कि निर्भय आए दिन लड़कियों का रेप करके आता है। सीमा को ये बात तब पता चली थी जब वह बीहड़ के पास बसे एक गांव गई और वहां की महिलाओं ने उससे शिकायत की।
इस शिकायत के दूसरे ही दिन सीमा ने सुबह 5 बजे निर्भय को गैंग से बाहर निकाल दिया था। इन दोनों का अफेयर बीहड़ का सबसे चर्चित अफेयर रहा है जिसकी चर्चा आज भी होती है।

लालाराम की गैंग से निकलने के बाद निर्भय ने डाकू जय सिंह गुर्जर की गैंग जॉइन की फिर डाकू फक्कड़ की गैंग में गया। इसी बीच उसने कई अपहरण और हत्याएं कीं।
खुद की गैंग बनाई, दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक के लोगों का करने लगा था अपहरण
4 साल तक अलग-अलग गिरोहों में काम करने के बाद साल 1990 में निर्भय ने खुद की गैंग बना ली। धीरे-धीरे गैंग बड़ी होती गई। उसकी गैंग में 70 से ज्यादा डाकू शामिल हो गए थे। उसके कांटेक्ट बहुत ज्यादा दुरुस्त हो चुके थे। बड़े-बड़े अपराधी उससे संपर्क साधते और अलग-अलग राज्यों के अमीर लोगों का अपहरण करने की सलाह देते।
निर्भय की गैंग दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक के लोगों का अपहरण करने लगी थी। बिचौलिए भी उसका साथ देते थे। फिरौती मिलने के बाद निर्भय आधा पैसा बिचौलियों को दे देता था।

निर्भय अपनी किसी भी पकड़ यानी अपहरण को 25 दिन का मौका देता था। पकड़ के 25 दिन के भीतर फिरौती ना मिलने पर वो उसे मार देता था। अपहरण और हत्याओं की सैकड़ों वारदातों के बाद उसका गैंग अमीर हो चुका था।
AK-47, AK-56 और दूर-दूर तक देखने वाली दूरबीनों से लेस थी निर्भय की गैंग
खूब सारा पैसा कमाने के बाद निर्भय ने अपनी गैंग के लिए महंगे-महंगे हथियार खरीद लिए थे। इन हथियारों में 315 बंदूक से लेकर AK-47, AK-56 जैसे हथियार थे। लोकल पुलिस के भीतर भी निर्भय का खौफ था। कई बार पुलिस ही उसे हथियार और कारतूस उपलब्ध कराती थी। इसके अलावा उसकी गैंग के पास दूर-दूर तक देख पाने वाली इम्पोर्टेड दूरबीनें भी थीं।

लूट-हत्या की कई वारदातों के बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की एसटीएफ की टीमें उसके पीछे पड़ गई थीं। इसके अलावा बीहड़ के बाकी सभी डाकुओं से उसकी खुल कर लड़ाई चलती थी।
2 बीबियां और 2 गर्लफ्रेंड दिन-रात साथ रहती थीं
लड़कियों के मामले में निर्भय शुरू से ही बदनाम रहा। चंबल की कुख्यात महिला डाकू रही सीमा परिहार ने उसे इन्हीं हरकतों की वजह से छोड़ा था। चंबल का सबसे बड़ा डाकू बनते ही निर्भय ने छोटी-छोटी लड़कियों का अपहरण करना शुरू कर दिया। सबसे पहले उसने 13 साल की नीलम गुप्ता का अपहरण किया। नीलम को कुछ दिन बंदी बना कर रखा फिर शादी कर ली। इसके बाद उसने सरला का अपहरण किया। कुछ दिन बाद उसने सरला से भी शादी कर ली।

सीमा परिहार को मिला कर अब तक निर्भय कुल 3 शादियां कर चुका था। इसके अलावा उसने 2 और लड़कियों मुन्नी पांडेय, पार्वती उर्फ चंको का अपहरण किया। इन दोनों को उसने अपनी गर्लफ्रेंड बना कर अपने साथ रखा।

बेटा बीवी को लेकर भागा तो बेटे की बीवी से ही शादी कर ली
साल 1990 में अपनी गैंग बनाने के कुछ दिनों बाद ही निर्भय ने एक बेटा गोद लिया था। बेटे का नाम श्याम था। श्याम बड़ा हुआ और डाकू बन गया। इसी बीच निर्भय सरला नाम की लड़की का अपहरण करके लाया और उसकी श्याम से शादी करा दी, लेकिन निर्भय का बेटा श्याम उसकी दूसरी पत्नी नीलम को दिल दे बैठा था। नीलम भी श्याम की जवानी पर आकर्षित थी।
एक दिन बेटे श्याम और दूसरी पत्नी नीलम ने प्लान बनाया और निर्भय की कमाई हुई लगभग सारी रकम लेकर भाग गए। इस बात से निर्भय इतने गुस्से में आ गया था कि उसने इन दोनों को जिंदा या मुर्दा पकड़ कर लाने वाले को 21 लाख रुपए का इनाम देने का ऐलान कर दिया था। हालांकि, कुछ ही दिनों बाद श्याम और नीलम ने इटावा थाने में सरेंडर कर दिया था।

बेटे के धोखे के बाद निर्भय ने उसकी बीवी सरला से ही शादी कर ली थी जो निर्भय की तीसरी बीवी बनी। बताया जाता है तीसरी शादी के 2 साल बाद निर्भय ने चौथी शादी भी की थी।
बीहड़ में मीडिया को बुलाता और बेहमई जैसे कांड करने की धमकी देता
जहां एक तरफ अन्य डाकू छिपते-छिपाते घूमते थे। वहीं, दूसरी तरफ निर्भय खुल कर मीडिया से बात करता था। उसको इंटरव्यू देने का बड़ा शौक था। तगड़ी प्लानिंग करके मीडिया को बीहड़ में बुलाता और अपने मन की बातें करता। बातचीत के बीच में वो अपने हथियार लहराता और अपने बड़े-बड़े कांड गिनवाता था।
मीडिया के कैमरे पर पुलिस को धमकी देता था। कहता था, “पुलिस मेरा पीछे करना छोड़ दे तो शायद मैं सरेंडर कर भी दूं। अगर पीछा नहीं छोड़ा तो बेहमई से भी खतरनाक कांड करूंगा।” वो हमेशा कहा करता था, “सरेंडर करूंगा तो मुलायम सिंह के सामने ही करूंगा।” वह सरेंडर करने के बाद राजनीति में आना चाहता था।
एसपी से लेकर प्रधानमंत्री तक का नंबर था, नेता लाइन लगाकर आते थे
एक मीडिया इंटरव्यू में निर्भय ने बताया, ”मेरे पास एसपी से लेकर प्रधानमंत्री तक का नंबर है। एक दिन उसकी गैंग के लड़के ने प्रधानमंत्री के ऑफिस में फोन घुमा दिया था। वहां से एक लड़की बोल रही थी।”
इसके साथ ही उसने बताया था, “जनता मेरे को प्यार करती है इसलिए नेता भी मेरे से संपर्क साधने की कोशिश करते हैं। लाइन लगाकर मेरे पास आते हैं और खुद को जितवाने को कहते हैं। इन नेताओं में सरपंच से लेकर विधायक और सांसदी का चुनाव लड़ने वाले नेता शामिल हैं। वो मेरे को पैसे देते और मैं उनके इलाकों में उन्हें वोट देने का फतवा जारी कर देता। वो नेता चुनाव जीत जाते थे।”
यूपी-एमपी की एसटीएफ टीमें मिलकर कर पाई थीं एनकाउंटर
निर्भय की वारदातों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था। एमपी और यूपी की सरकारों पर दबाव बढ़ता जा रहा था। अब तक निर्भय पर लूट अपहरण और हत्या के 200 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके थे। दोनों राज्यों की सरकारों ने ढाई-ढाई लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया और एसटीएफ की कई टीमों को जंगल में उतार दिया। 7 नवंबर, 2005 को औरैया जिले से सटे बीहड़ में यूपी एसटीएफ टीम से मुठभेड़ हुई और आखिरकार वो मारा गया।