उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक को डॉ धनश्याम त्रिपाठी हत्याकांड की याद तो आई, निर्मम हत्या के 11 दिन बाद बृजेश पाठक तब आ रहे है जब पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खारिज कर दिया। CBI जाँच की मांग कर 10 लाख रुपये की सरकारी इमदाद को लौटा दिया। दरअसल सुल्तानपुर जनपद के डॉ घनश्याम त्रिपाठी हत्याकांड में स्वास्थ मंत्री बृजेश पाठक की डिमांड शुरु से हो रही थी। परिजन लाश का अंतिम संस्कार करने का तैयार नही थें हर तरफ से एक आवाज आ रही थी, योगी सरकार में ब्राह्मणों के अगुवा उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक हैं, वो आए तो अंतिम संस्कार होगा।
मगर अफ़सोस पब्लिक का आवाज़ या तो बृजेश पाठक तक पहुंची नहीं या फिर उन्होंने सुन कर अनसुना कर दिया। फिलहाल डीएम एसपी और भाजपा विधायक सीताराम वर्मा, विधायक राज बाबू उपाध्याय और पूर्व विधायक देवमणि द्विवेदी जैसे हस्तियों ने एक करोड़ की सरकारी इमदाद, सरकारी नौकरी सहित सात मांगों पर लिखित रूप से आश्वासन देकर लाश का अंतिम संस्कार करवा दिया। लेकिन अब मदद आई तो सिर्फ दस लाख जिसको डॉ त्रिपाठी की पत्नी निशा त्रिपाठी ने वापस कर दिया है और सरकार से पति की हत्या की सीबीआई जांच कराने की मांग कर डाली है।
इस दौरान सुल्तानपुर में बवाल और सियासी सारगर्मियां भी तेज है। ब्राह्मण चेतना मंच के बैनर तले सर्वदलीय सभा कर योगी सरकार पर तीखा हमला भी हुआ। सपा के पूर्व विधायक और ब्राह्मण नेता संतोष पांडेय जन सहयोग से पीड़ित परिवार को एक करोड़ की मदद के अभियान पर है। ऐसे में डॉ त्रिपाठी की हत्या के 11 दिन बाद उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक का पीड़ित परिवार के यहां दौरा किया। लंभुआ के सखौली गांव में पहुंचे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक। इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवारीजनों से मुलाकात कर ढांढस बंधाया और कार्रवाई का भरोसा दिया। इसके साथ ही उन्होंने मृतक डॉक्टर घनश्याम त्रिपाठी को श्रद्धांजलि दी।
सोशल मीडिया पर उप मुख्यमंत्री की ब्राह्मण सियासत पर तंज कसा जा रहा है। ताना मारते हुए स्वजातीय लोग लिख रहे अब याद आई पाठक जी को डॉक्टर घनश्याम त्रिपाठी हत्याकांड की। अगर निशा त्रिपाठी ने सरकारी इमदाद को लौटाया न होता तो शायद पाठक जी आते भी नही। वैसे वो अब सरकार का बचाव करने का रहे है न की अपने परिवार के दुखों में हिस्सा लेने।