चंदौली : उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में योगी राज में हैरतंगेज खबर सामने आ रही है। बता दें कि जनपद के पीडीडीयू नगर थाना में भगवान को ही कैदी बना लिया गया है। विवादों को सुलझाने में कथ्यों को तोड़ – मरोड़कर पेश करने वाले सिंघम की शख्सियत से फेमस लुक वाले खाकी वर्दी के दबंग अधिकारी के इस कारनामे की लोग दबी जुबान से चर्चा कर रहे हुई ।। हालांकि लोगों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि पूरा मामला रास्ता के विवाद से जुड़ा है। जिसमें डीडीयू नगर प्रशासन और पुलिस महकमें के कृत्य सवालों के घेरे में है।
भगवान को ही बना लिया गया बंदी….
बता दें कि भगवान की मूर्ति प्रशासन के दबाव और उपस्थिति में हटाए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। दरअसल पीडीडीयू नगर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत शाहकुटी मोहल्ले में दो धर्मों के बीच रास्ता खोलने को लेकर विवाद चल रहा था। दूसरे धर्म के लोगों द्वारा गली होने के बावजूद अपने घर तक पहुंचने के लिए रास्ते की मांग की जा रही थी। लिहाजा प्रथम पक्ष के लोगों ने खंभे से सटाकर बजरंगबली की एक छोटी सी मूर्ति स्थापित कर दी। जिसके बाद तो बिना प्रशासन की अनुमति के बिना मूर्ति स्थापना का ऐसा हल्ला मचा की पांच दिसंबर की देर रात डीडीयू नगर प्रशासन और पुलिस टीम का दलबल मौके पर पहुंच मूर्ति स्थापित किए लोगों पर जमकर दबाव बनाना शुरू किया। हालांकि एसडीएम मुगलसराय के निर्देश पर दो धर्मों के विवाद को खत्म करने की कोशिश में मूर्ति को हटाने का निर्देश दिया गया।
इसी क्रम में सीओ मुगलसराय और मुगलसराय कोतवाली पुलिस ने मूर्ति को अन्यत्र किसी मंदिर में रखवाने की जगह, उठवाकर थाने उठा ले गई। यहां भी मूर्ति को स्थापित किए पक्ष पर सीओ की दबंगई इस तरह हावी हुई कि लोग प्रकरण के बाबत दबी जुबान से तो बोलते देखे गए, लेकिन भय और खाकी के आतंक से कैमरे के सामने चुप्पी साधने में ही भलाई समझी। जहा एक तरह सरकार पूरे देश में राम धुन बहाने की बात करती है वहीं चंदौली में रामलला के भक्त की मूर्ति पुलिस महकमें द्वारा थाना परिसर में उठा ले जाने की बात लोगों के कौतूहल का विषय बनी है, साथ ही पीड़ित पक्ष पर पुलिसिया दबाव इस कदर की मामले को ना हजम कर पा रहें हैं ना ही निगल पा रहे हैं, यह मुद्दा गंभीर और विचारणीय है।