उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) इन दिनों एक खास वजह से चर्चा में बने हुए है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक बार फिर से स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने ऐसा बयान दिया है जिससे उत्तर प्रदेश की राजनीती गरमा गई है। वहीं कई पार्टियों ने सीधे तौर पर इसका विरोध किया है। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के इस बयान को घोसी के उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है जो आगामी 5 अक्टूबर को होने वाला है। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के बयान की कड़ी निंदा की जा रही है।
क्या था Swami Prasad Maurya का बयान
सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। इसमे उन्होंने हिंदू धर्म को लेकर बात की और कई सवाल उठाए हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि, ‘हम भले ही पागल होकर हिंदू के नाम पर मरें किंतु ब्राह्मणी देवता के चतुर चालाक लोग आज भी हमको आदिवासी मानते हैं। इस तरह पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के साथ भी हो चुका है। वह पुष्कर के मंदिर गए थे तो वहां के पंडे ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया था। जिसे आप हिंदू धर्म कहकर उसके दीवाने और पागल होकर अपना सब कुछ लुटा देते हैं, लेकिन वे आपको सम्मान नहीं देंगे। क्योंकि वे आपको नीच व अधर्म मानते हैं। आपको अपमानित करना अपना धर्म मानते हैं। जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री पद से हटे, तब इन्हीं सत्ता दल के लोगों ने मुख्यमंत्री आवास को गोमूत्र से धोया। जब इससे मन नहीं भरा तो गंगाजल से धोया गया।’
उन्होंने कहा कि, ‘ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है। हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है। सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर सुभासपा के राष्ट्रीय महासविव अरुण राजभर ने निशाना साधा है। अरूण राजभर ने कहा कि, इस बयान पर अखिलेश यादव का कोई खंडन नहीं आया है, जिससे ये माना जाए कि ये अखिलेश यादव का बयान है। क्या ये बातें स्वामी ने अखिलेश यादव को नहीं बताई कि कौन हिंदू हैं औऱ कौन ब्राह्मण है?
स्वामी प्रसाद पर निशाना साधते हुए अरुण ने सवाल पूछा कि जब 2022 में फरसा उठाकर सपा, परशुराम जी की मूर्ति लगाने जा रही थी। जय परशुराम जी का नारा एक दर्जन ब्राह्मण नेता नारा लगा रहे थे, जब यह सब हो रहा था तब क्या ब्राह्मणवाद की गहरी खाई उनको नहीं नजर आ रही थी। अरुण ने कहा कि समाजवादी पार्टी को हिंदुओं से द्वेष हो चुका है, इतनी नफरत हो चुकी है कि कभी ये रामचरितमानस पर सवाल खड़ा करते हैं तो कभी बद्रीनाथ धाम पर सवाल खड़ा करते हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग लगातार हिंदुओं की आस्था पर चोट कर रहे हैं।
राजभर ने सपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि, अगर सपा के इतने बड़े नेता ये बयान दे रहे हैं इसका मतलब यह है कि अखिलेश यादव का समर्थन उनको प्राप्त है। अखिलेश यादव के समर्थन पर स्वामी प्रसाद मौर्य इस तरीके की बात कह रहे हैं और अगर अखिलेश यादव का समर्थन नहीं है तो अखिलेश यादव कल घोसी जा रहे हैं, घोसी पहुंचकर उन्हें ये बात स्पष्ट करनी होगी कि क्या वो स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के साथ हैं या उसके खिलाफ हैं।
इसके अलावा सपा नेता आइपी सिंह ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य को घेरते हुए कहा कि, उन्हें धार्मिक मुद्दों पर हर दिन बोलने से बचना चाहिए।
अयोध्या स्थित तपस्वी छावनी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत परमहंस दास स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से इतने नाराज हुए कि वे लखनऊ सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से शिकायत करने पहुंच गए। हालांकि उनकी मुलाकात अखिलेश यादव से नहीं हो पाई। लेकिन उन्होंने सपा मुखिया को चेताते हुए कहा कि, पूर्व कैबिनेट मंत्री मौर्य अपनी अलग पार्टी बनाने में जुटे हुए हैं। उनकी हिंदू विरोधी बयानबाजी से सपा को भी नुकसान होगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था तब इन्हीं महंत परमहंस दास ने मौर्य का सिर काटकर लाने वालो को इनाम देने का ऐलान किया था। ये पहली बार नहीं इससे पहले भी स्वामी प्रसाद मौर्य ऐसे भड़काउ बयान दे चुके हैं।