उत्तर प्रदेश में बरेली की एक अदालत ने विवादित बयान को लेकर भोजीपुरा से विधायक शहजिल इस्लाम की अग्रिम जमानत की अर्जी ठुकरा दी है। शहजिल इस्लाम पर दर्ज एफआईआर से राहत पाने के लिए दायर याचिका की सुनवाई करते हुए स्थानीय अदालत ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है, इससे विधायक की और मुसीबत बढ़ गई हैं।
1 अप्रैल को समाजवादी पार्टी (सपा) से जीते हुए विधायकों के लिए आकाशपुरम में सपा जिला उपाध्यक्ष संजीव कुमार सक्सेना की ओर से एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। इस दौरान सपा विधायक शहजिल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ”पहले हमारे कम विधायक थे तो सदन में सीएम योगी ने बहुत उल्टा सीधा कहा, बस मुंह से गाली नहीं दी बाकी और अशोभनीय शब्द प्रयोग किये थे लेकिन अब विपक्ष में हम लोगों की अच्छी संख्या है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव नेता प्रतिपक्ष हैं तो आज अगर सीएम होने के नाते वह सदन में अपशब्द कहेंगे तो हम लोग भी चुप नहीं बैठेंगे।”
विधायक शहजिल यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा, ”हाथोंहाथ जवाब देने का काम करेंगे क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ऐलान किया है कि हम समाजवादी पार्टी के लोग सड़कों पर भी लड़ाई लड़ेंगे और सदन के अंदर भी सरकार से लड़ाई लड़ने का काम करेंगे। परेशान होने और निराश होने की जरूरत जरूरत नहीं है। वो दिन चले गए जब उनकी तानाशाही चलती थी। अब एक मजबूत विपक्ष सदन में मौजूद है। हमारी बंदूक से धुआं नहीं गोली निकलेगी।”
विधायक के खिलाफ हिंदू युवा वाहिनी कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोला और पुलिस अधीक्षक नगर रविंद्र कुमार को शिकायती पत्र देकर विधायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की मांग की थी। वाहिनी द्वारा दी गई तहरीर पर 04 अप्रैल में थाना बारादरी ने एफआईआर दर्ज कर ली। भोजीपुरा से विधायक शहजिल और सपा जिला उपाध्यक्ष संजीव कुमार सक्सेना और अन्य पर धारा 153 ए , 504 और 506 के तहत जिला प्रभारी हिंदू युवा वाहिनी अनुज वर्मा की ओर से मुकदमा दर्ज हुआ था।
विधायक ने अपने ऊपर दर्ज एफआईआर राजनीतिक साजिश बताते हुए उन्होंने जिला सत्र न्यायालय में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत की गुहार लगाई। जिला जज ने इसकी सुनवाई के लिए एडीजे प्रथम नामित किया शुक्रवार दोपहर सक्षम न्यायालय ने सुनवाई करते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
गौरतलब है कि बरेली विकास प्राधिकरण विधायक द्वारा बयान दिए जाने के बाद दिल्ली हाईवे पर स्थित स्वीकृत मानचत्रि के बिना बने पेट्रोल पंप का निर्माण गिरा दिया। साथ ही प्रशासन ने पेट्रोल पंप का लाइसेंस भी रद्द कर दिया। अब अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने से विधायक की मुसीबतें और बढ़ गई हैं। इस मामले में भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन ने अभी तक कोई अपेक्षित कार्रवाई नहीं की है जबकि जिलाधिकारी द्वारा प्रेषित पत्र में डीलरशिप भी रद्द करने को कहा है।