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यूपी का रण : इस चरण में लड़ाई है योगी के गढ़ में

विधानसभा चुनाव उत्तरार्द्ध में प्रवेश कर गया है। 3 मार्च को छठे चरण के लिए मतदान होगा। अंबेडकरनगर को छोड़कर यह पूरा क्षेत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव व प्रतिष्ठा से जुुड़ा माना जाता है। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र गोरखपुर सहित जिन 10 जिलों की 57 सीटों पर मतदान होना है, भाजपा ने 2017 में उनमें से 46 सीटें जीती थीं। बसपा पांच, सपा दो व कांग्रेस केवल एक सीट पर सिमट गई थी। वहीं, सुभासपा, अपना दल और निर्दलीय के हिस्से एक-एक सीट आई थी।

पांच वर्ष पहले यह तस्वीर तब थी, जब न तो योगी मुख्यमंत्री पद का चेहरा थे, न विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे और न ही भाजपा के खाते में बीते पांच वर्षों में इस अंचल को मिली कई सौगातों की तरह कोई बड़ी उपलब्धि ही थी। इस चुनाव में न सिर्फ योगी मुख्यमंत्री का चेहरा हैं, बल्कि गोरखपुर शहर सीट से प्रत्याशी भी हैं। इससे भी बढ़कर पांच साल मुख्यमंत्री रहकर इस अंचल को कई सौगातें देने केबाद नए चुनाव का सामना कर रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी का असली इम्तिहान यही चरण लेने जा रहा है।
चुनावी परिदृश्य की बात करें तो मुस्लिम व यादवों की तगड़ी लामबंदी और जातीय समीकरणों की वजह से कई सीटें आमने-सामने व त्रिकोणीय समीकरण में कांटे की लड़ाई में उलझी हुई हैं। सपा व भाजपा से टिकट नहीं मिलने से बागी हुए कई चेहरे दूसरे दलों से जाकर मुख्य प्रतिद्वंद्वी दलों के प्रत्याशियों की नींद हराम किए हुए हैं। बहुत कम सीटें हैं (12 से अधिक) जिनमें मतदाता खुलकर यह कह पा रहा है कि फलां सीट आसानी से ये दल निकालता नजर आ रहा है। दल बदलकर मैदान में आने वाले कई नेता भी इसी क्षेत्र से किस्मत आजमा रहे हैं। इनका दलबदल दांव कितना काम आया, यह भी देखना दिलचस्प होगा।
गोरखपुर : खुलकर दिख रही योगी-हरिशंकर परिवार की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता
गोरखपुर जिले में नौ विधानसभा सीटें हैं। भाजपा ने पिछले चुनाव में आठ सीटें जीती थीं। एक सीट बसपा के खाते में गई थी। यहां गोरक्षपीठ व पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी परिवार के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अरसे से चली आ रही है।  यहां जगह-जगह चर्चा है कि भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे स्व. उपेंद्र शुक्ला की पत्नी सुभावती को सपा में शामिल करवाकर योगी के सामने प्रत्याशी बनवाने की चाल तिवारी परिवार की ही रही है। बसपा ने योगी के सामने ख्वाजा शम्शुद्दीन और कांग्रेस ने गोरखपुर विश्वविद्यालय की छात्रसंघ उपाध्यक्ष रहीं चेतना पांडेय को उतारा है। यहां भाजपा-सपा में सीधी लड़ाई नजर आ रही है। उधर, योगी खेमे ने चिल्लूपार में तिवारी के बेटे व निवर्तमान विधायक विनय शंकर तिवारी को घेरने के लिए तगड़ा बंदोबस्त किया है। भाजपा प्रत्याशी व पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी की जीत पक्की करने के लिए सपा से भाजपा में आए एमएलसी सीपी चंद को खासतौर से लगाया गया है। वहीं, बसपा से पूर्व विधायक पहलवान सिंह त्रिकोण बनाते नजर आ रहे हैं। गोरखपुर ग्रामीण में भाजपा के विपिन सिंह को सपा के विजय बहादुर यादव से कड़ी चुनौती मिल रही है। कैंपियरगंज में पूर्व मंत्री फतेह बहादुर सिंह के सामने तीन निषाद उम्मीदवारों की चुनौती है। पिपराइच में भाजपा विधायक महेंद्र पाल सिंह को पूर्व मंत्री स्व. जमुना निषाद के बेटे अमरेंद्र निषाद की सीधी लड़ाई दिख रही है।
बसपा के दीपक कुमार अग्रवाल यहां त्रिकोण बनाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। सहजनवां में भाजपा के नए चेहरे प्रदीप शुक्ला को सपा के पूर्व विधायक यशपाल रावत व बसपा के दबंग प्रत्याशी सुधीर सिंह से चुनौती मिल रही है। खजनी (सु.) में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार श्रीराम चौहान से सपा की रूपावती से सीधी लड़ाई नजर आ रही है। यहां बसपा के विद्यासागर त्रिकोण बनाने का प्रयास कर रहे हैं। बांसगांव (सु.) में भाजपा विधायक डॉ. विमलेश पासवान, सपा के डॉ. संजय कुमार तथा बसपा के रामनयन आजाद के बीच त्रिकोणीय मुकाबले में उलझे हैं। चौरी-चौरा सीट भाजपा ने विधायक का टिकट काटकर निषाद पार्टी को गठबंधन में दी है। यहां निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद के पुत्र सरवन कुमार निषाद को भाजपा के बागी व निर्दल प्रत्याशी अजय कुमार सिंह टप्पू से तगड़ी चुनौती मिल रही है। यहां सपा गठबंधन से बृजेश चंद्र लाल व बसपा से वीरेंद्र पांडेय हैं।