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प्रेमी के घर बेटी को कुल्हाड़ी से कटा, गुस्से में बोला पिता, वश चलता तो सिर काटकर गांव में घुमाता

मुरादाबाद में बेटी को प्रेमी के घर कुल्हाड़ी से काट देने वाले पिता ने अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा है कि उसे सिर्फ इस बात का अफसोस है कि बेटी का सिर लेकर पूरे गांव में नहीं घूम सका। बेटी के कत्ल के आरोपी सुभाष कश्यप के चेहरे पर गुरुवार को पुलिस कस्टडी में भी शिकन के कोई भाव नजर नहीं आ रहे थे। बल्कि वह घटनाक्रम के बारे में खुलकर बता रहा था और अपने कृत्य को सही साबित करने की कोशिश कर रहा था।

सुभाष ने पूछताछ में बताया कि मंगलवार-बुधवार की रात मोहित यादव के घर पहुंची नीलम को उसने काफी समझाने की कोशिश की लेकिन वह जिद पर अड़ी रही। वह करीब एक घंटे तक नीलम को घर लौटने के लिए मनाता रहा। उसका खून तब खौल उठा जब नीलम ने उसके मुंह पर थूक दिया। कहा कि तुम बेटी को खुश नहीं देखना चाहते हो। आज से हमारा-तुम्हारा रिश्ता खत्म। मैं तुम्हारे लिए मर चुकी हूं। बेटी के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर वह खुद को रोक नहीं पाया और मोहित यादव के घर से अपने घर लौटा और कुल्हाड़ी और चाकू लेकर बेटे मोहित कश्यप के साथ लौटा और नीलम की हत्या कर दी। उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। उसके सिर पर खून सवार था।

सुभाष ने बताया कि नीलम इकलौती बेटी थी। उसे लाड और प्यार से पाला था। उसकी हर इच्छा को पूरा करने की कोशिश की थी। उसके मुंह से निकलते ही मांग पूरी कर दी जाती थी, मगर मोहित यादव के संपर्क में आने के बाद वह पूरी तरह से बदल गई थी। सात बार रिश्तेदारों के साथ पंचायतें कीं। वे हमेशा अच्छे से अच्छे लड़के से शादी की बात करते लेकिन नीलम मोहित से ही शादी करने पर अड़ी हुई थी। वह बार-बार उसकी ही नहीं, अन्य बड़े-बुजुर्गों की बेइज्जती करती थी।

गुस्से में बोला पिता, वश चलता तो सिर काटकर गांव में घुमाता..
नीलम को लेकर पिता सुभाष के मन में किस कदर गुस्सा था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुभाष अब भी बेटी के लिए जहर उगल रहा है। सुभाष ने गुरुवार को पुलिस कस्टडी में कहा कि, उसका वश चलता तो नीलम का सिर काटकर पूरे गांव घुमाता। इसके बाद ही थाने ले जाकर आत्मसर्पण करता, लेकिन अफसोस है कि ऐसा कर नहीं सका। उसने बेटे से नीलम का गला काटने के लिए कई बार कहा लेकिन एक महिला के बीच में आ जाने के कारण वह ऐसा नहीं कर सका। वह चाहता था कि दोबारा कोई बेटी अपने परिजनों को ऐसे अपमान न कराए।

बहन को मुखाग्नि देते वक्त रो पड़ा भाई, बोला-अब कौन बांधेगा राखी
भोजपुर। इकलौती बहन नीलम को मुखाग्नि देते वक्त छोटे भाई गौरव के हांथ कांप उठे। वह फफक पड़ा। मौके पर मौजूद लोगों ने उसे ढांढस बंधाने का प्रयास किया, मगर वह खुद भी फफक पड़े। गौरव के मुंह से सिर्फ एक ही शब्द निकल रहे थे कि अब इस कलाई पर राखी कौन बांधेगा। नीलम की नादानी और सुभाष के गुस्से ने पल भर में ही उसका हंसता-खेलता परिवार उजाड़ डाला। सोमवार तक सुभाष के घर पर जहां खुशियों का राज था वहीं आज मातम पसरा हुआ था।

सिर्फ चीख-पुकार ही सुनाई दे रही थी। बेटी की हत्या के आरोप में पति और बेटे के जेल जाने से कुसुम बेसुध है। उसका कहना है कि आखिर हंसते-खेलते परिवार पर किसी की नजर लग गई। रिश्तेदार से लेकर पड़ोसी उसे ढांढस बंधा रहे हैं।

लोगों का कहना है कि नीलम को भी पिता की बेइज्जती नहीं करनी चाहिए थी। वहीं सुभाष को भी गुस्से पर काबू करते हुए नीलम को समझाना चाहिए था।पेशे से किसान सुभाष कश्यप तीन बेटे संजू, मोहित, गौरव व बेटी नीलम के अलावा पत्नी कुसुम के साथ जीवन यापन कर रहा था। परिवार में खुशियों का राज था। इकलौती बेटी नीलम की पिता सुभाष और कुसुम हर इच्छा पूरी करने की कोशिश करता था। कक्षा दस में नीलम ने अच्छे नंबर हासिल किए तो सुभाष ने गांव वालों को मिठाई खिलाकर खुशियां बांटी थीं।

फफक कर बोली मां, कोई मेरी लाडो को वापस ले आए
नीलम की हत्या में पिता सुभाष और भाई मोहित के जेल जाने के बाद घर पर मातम पसरा हुआ था। घर से उठ रही रोने-चिल्लाने की आवाज दूर से ही सुनाई दे रही है। मां कुसुम देवी का तो रो-रोकर बुरा हाल है। उसकी आंखों से आंसू बंद होने का नाम नहीं ले रहे हैं। वह बार-बार लोगों से अपनी लाडो (नीलम) को वापस लाने की गुहार लगा रही थी। उसका रुदन हर किसी का दिल पिघला रहा था। कुसुम का कहना था कि उसकी लाडो तो स्कूल में टॉपर थी। हमेशा अच्छे नंबर लाती थी। पिता भी उसकी हर इच्छा पूरी करते थे, फिर उन्होंने क्यों मार दिया लाडो को। कोई मेरी लाडो को वापस ले आए।