फ्लैट रेट पर बिजली नहीं मिलने से आक्रोशित बुनकर गुरुवार सुबह से एक बार फिर हड़ताल पर चले गए हैं। वैसे तो हड़ताल प्रदेशस्तरीय है लेकिन इसका ज्यादा असर वाराणसी में देखने को मिल रहा है। यहां फ्लैट रेट समेत तीन मांगों को लेकर बुनकर बिरादराना तंजीमों के मुर्री बन्द के आह्वान पर हैंडलूम व पावर लूम बंद कर दिये हैं।
बुनकरों की पिछले दो महीने में यह दूसरी हड़ताल है। सितंबर में भी बुनकर हड़ताल पर चले गए थे। तब सरकार ने यह कहकर हड़ताल खत्म कराई थी कि जुलाई माह तक फ्लैट रेट से बिल का भुगतान सभी बुनकर करेंगे। बुनकरों के लिए 15 दिन में नई योजना लाई जाएगी। डेढ़ माह बीतने के बाद भी सरकार की तरफ से बुनकरों के लिए कोई नई योजना नहीं लाई गई। इसके बाद बुनकरों ने इस वादाखिलाफी के विरोध में 15 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी थी। इसको लेकर बुधवार को बुनकरों ने बैठक भी की। कहा कि सरकार से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। हम लोग सरकार से मांग करते है कि जिस तरह बुनकरों को 2006 से फ्लैट रेट पर बिजली मिलती थी, वह जारी रहे। सरकार को पूरा हक है कि फ्लैट रेट अगर पहले के मुकाबले कम है तो उसे बढ़ा ले।
गुरुवार सुबह बुनकरों ने वाराणसी के विभिन्न स्थानों पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताया। नुक्कड़ नाटक से अपनी समस्याएं गिनाई और सरकार से जल्द से जल्द बिजली बिल निर्धारित करने की पुरानी व्यवस्था लागू करने की मांग की। बुनकर बहुल क्षेत्रों में सुबह से ही विभिन्न तंजीमों के लोग घूम घूम कर लूम बंद करने की अपील करते रहे। हाथों में बैनर पोस्टर लेकर सड़कों और गलियों में बुनकर घूमे। बड़ी बाजार, पीली कोठी, आदमपुर, जैतपुरा, सरैया, लोहता आदि बुनकर बहुल क्षेत्रों में बुनकरों ने अपने घरों व कारखानों के बाहर आकर विरोध दर्ज कराया। बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के सरदार इकरामुद्दीन व चौदहों के सरदार मकबूल हसन ने कहा कि सितम्बर में हड़ताल के दौरान सरकार ने मांगों पर गंभीरता से विचार करने व नई व्यवस्था के बाद आए बिलों में छूट देने की बात कही थी।
चार सितंबर को उत्तर प्रदेश बुनकर संघ के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद अंसारी के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री के सचिव एवं हथकरघा उद्योग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल से वार्ता की थी। सचिव ने मुख्यमंत्री से वार्ता कर उन्हें पहली जनवरी से 31 जुलाई तक पुरानी व्यवस्था के तहत ही फिक्स रेट पर बिजली बिल भुगतान करने को कहा था। डेढ़ महीने बाद भी बिजली विभाग के पास कोई शासनादेश नहीं पहुंचा। इससे बुनकरों को लाभ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार पुरानी व्यवस्था लागू नहीं करती और नए बिलों में बढ़ी हुई राशि वापस नहीं लेती तब तक हड़ताल जारी रहेगी।