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बिहार चुनाव में तस्वीर साफ, मुस्लिम है ओवैसी के साथ

बिहार विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करते हुए पांच सीटें जीतने के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम अब यूपी और बंगाल में भी चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। एआईएमआईएम ने कहा कि पार्टी अब उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी अपने पांव पसारने को लेकर आशान्वित है। मंगलवार रात में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए एमआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पार्टी उत्तरी राज्य के सीमांचल क्षेत्र में न्याय की लड़ाई लड़ेगी।

भाजपा का विरोध करने वाली पार्टियों के वोट बांटने के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा कि वह एक राजनीतिक पार्टी चला रहे हैं और पार्टी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी अन्य राज्यों में भी चुनाव लड़ेगी तो उन्होंने कहा, ‘आपका कहना है कि हमें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। आप (कांग्रेस) महाराष्ट्र में शिवसेना की गोद में जा बैठे। क्या किसी ने पूछा कि आप चुनाव क्यों लड़ते हैं…मैं पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और देश में हर चुनाव लड़ूंगा। मुझे क्या चुनाव लड़ने के लिए किसी से मंजूरी लेने की जरूरत है।’

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हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या इन स्थानों पर पार्टी अकेले या अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। ओवैसी ने कहा, ‘एआईएमआईएम 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ेगी। यह तो समय ही बताएगा कि हम किसके सहयोगी होंगे।’ कांग्रेस और अन्य पार्टियां एआईएमआईएम को भाजपा की ‘बी टीम बताती है और भाजपा विरोधी पार्टियों का वोट बांटने के लिए ओवैसी की आलोचना करती रही हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ओवैसी की एआईएमआईएम ने बिहार विधानसभा के तीसरे चरण के चुनाव में सीमांचल क्षेत्र में राजद नीत महागठबंधन के वोटों को भारी संख्या में प्रभावित किया। ओवैसी की पार्टी बिहार में 20 सीटों पर चुनाव लड़ी, इनमें से ज्यादातर पर सात नवंबर को मतदान हुआ था। एआईएमआईएम ‘ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट’ का हिस्सा है। इस गठबंधन में उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी शामिल है।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार बिहार में चार करोड़ से ज्यादा वोटिंग हुई थी और इनमें से 1.24 फीसद वोट एआईएमआईएम को मिले हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा था और उसे सिर्फ 0.5 फीसदी मत ही हासिल हो पाया था। वहीं एमआईएमआईएम का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा में भी अच्छा नहीं रहा था। तेलंगाना और बिहार के अलावा महाराष्ट्र में पार्टी के पास दो विधायक और एक सांसद है।बिहार विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करते हुए पांच सीटें जीतने के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम अब यूपी और बंगाल में भी चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। एआईएमआईएम ने कहा कि पार्टी अब उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी अपने पांव पसारने को लेकर आशान्वित है। मंगलवार रात में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए एमआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पार्टी उत्तरी राज्य के सीमांचल क्षेत्र में न्याय की लड़ाई लड़ेगी।

भाजपा का विरोध करने वाली पार्टियों के वोट बांटने के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा कि वह एक राजनीतिक पार्टी चला रहे हैं और पार्टी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी अन्य राज्यों में भी चुनाव लड़ेगी तो उन्होंने कहा, ‘आपका कहना है कि हमें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। आप (कांग्रेस) महाराष्ट्र में शिवसेना की गोद में जा बैठे। क्या किसी ने पूछा कि आप चुनाव क्यों लड़ते हैं…मैं पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और देश में हर चुनाव लड़ूंगा। मुझे क्या चुनाव लड़ने के लिए किसी से मंजूरी लेने की जरूरत है।’

हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या इन स्थानों पर पार्टी अकेले या अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। ओवैसी ने कहा, ‘एआईएमआईएम 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ेगी। यह तो समय ही बताएगा कि हम किसके सहयोगी होंगे।’ कांग्रेस और अन्य पार्टियां एआईएमआईएम को भाजपा की ‘बी टीम बताती है और भाजपा विरोधी पार्टियों का वोट बांटने के लिए ओवैसी की आलोचना करती रही हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ओवैसी की एआईएमआईएम ने बिहार विधानसभा के तीसरे चरण के चुनाव में सीमांचल क्षेत्र में राजद नीत महागठबंधन के वोटों को भारी संख्या में प्रभावित किया। ओवैसी की पार्टी बिहार में 20 सीटों पर चुनाव लड़ी, इनमें से ज्यादातर पर सात नवंबर को मतदान हुआ था। एआईएमआईएम ‘ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट’ का हिस्सा है। इस गठबंधन में उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी शामिल है।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार बिहार में चार करोड़ से ज्यादा वोटिंग हुई थी और इनमें से 1.24 फीसद वोट एआईएमआईएम को मिले हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा था और उसे सिर्फ 0.5 फीसदी मत ही हासिल हो पाया था। वहीं एमआईएमआईएम का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा में भी अच्छा नहीं रहा था। तेलंगाना और बिहार के अलावा महाराष्ट्र में पार्टी के पास दो विधायक और एक सांसद है।