लखनऊ. यूपी की सात विधानसभा सीटों के लिए मंगलवार को नतीजे आएंगे. इसमें कोई दो राय नहीं कि नतीजे में सत्ताधारी भाजपा (BJP) का दबदबा रहेगा. लेकिन इस उपचुनाव (By election) के नतीजों (Results) से ये भी साफ हो जायेगा कि यूपी में कौन है नंबर-2 की पार्टी. नतीजे साफ करेंगे कि नंबर टू की हैसियत में सपा (SP) रहेगी या बसपा (BSP).
जिन सात सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, उनपर सपा और बसपा की हैसियत लगभग एक सी रही है. सपा को हल्का एज रहा है, क्योंकि मल्हनी की सीट उसके कब्जे में था. दिलचस्प ये है कि 2017 में सात में से जिन 6 सीटों पर भाजपा का कब्जा था उनमें से 3 पर सपा और 3 पर ही बसपा दूसरे नंबर पर थी. यानी मैच टाई था. अब इस उपचुनाव के परिणाम ये तय करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर रनर-अप कौन रहता है. जो भी पार्टी ज्यादा सीटों पर नंबर दो पर रहेगी उसे ये कहने का हक हासिल होगा कि भाजपा से उसी की लड़ाई थी. 2022 के चुनावों के लिए वही मुख्य विपक्षी है.
आइये जानते हैं कि सात सीटों पर सपा और बसपा का प्रदर्शन 2017 के चुनाव में कैसा था. जिन तीन सीटों पर बसपा नंबर दो पर रही थी वे सीटें हैं फिरोजाबाद की टूण्डला, कानपुर की घाटमपुर और बुलंदशहर. सपा देवरिया, अमरोहा की नौगांव सादात और उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर नंबर दो पर थी. इस उपचुनाव में ये स्थिति बदल सकती है. याद रहे कि उपचुनाव में वोटिंग से ठीक पहले सपा और बसपा में जबरदस्त राजनीतिक लड़ाई छिड़ी थी. मायावती के उस बयान से खासा राजनीतिक हलचल मची थी जिसमें उन्होंने कहा था कि एमएलसी के चुनावों में सपा को हराने के लिए यदि उन्हें भाजपा का भी साथ देना पड़े तो उनके विधायक देंगे. मायावती के इस बयान के बाद यदि उपचुनाव में बसपा का प्रदर्शन 2017 के मुकाबले खराब हुआ तो इसके बड़े मतलब निकाले जायेंगे. दूसरी ओर सपा इसे अपनी बढ़ती ताकत के रूप में प्रचारित करेगी.
सरकार ने रद्द किया 4.39 करोड़ राशन कार्ड , कहीं आपका नाम तो नही….
इसीलिए कहा जा रहा है कि भले ही ये उपचुनाव हो लेकिन, इसके नतीजों के गहरे राजनीतिक मायने निकाले जायेंगे. ऐसा इसलिए भी क्योंकि 2022 के चुनाव में अब बहुत ज्यादा वक्त नहीं है. कहा तो ये भी जा रहा है कि भाजपा का भी प्रदर्शन यदि 2017 के मुकाबले गिरा तो इसके भी बहुत मतलब निकाले जायेंगे. खासकर बिहार चुनाव के एग्जिट पोल को देखते हुए.