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हिन्दी में फैसला सुनाते हैं ये जज साहब, 4 साल के कार्यकाल में बनाया अनोखा रिकार्ड

वैसे तो हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट के फैसले अंग्रेजी में आते हैं, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट में तैनात जस्टिस डॉ. गौतम चौधरी हिन्दी में फैसला सुनाने के लिए जाने जाते हैं. महज चार साल के कार्यकाल में ही उन्होंने 13 हजार से अधिक फैसले सुनाए हैं और सारे फैसले हिन्दी में हैं. इसमें भी गोरखपुर के डॉक्टर कफिल खान के मामले में दिया गया उनका फैसला नजीर है. किसी भी हाईकोर्ट में हिन्दी में आया यह सबसे चर्चित फैसला रहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम चौधरी को हिन्दी का जुनून है. वह मानते हैं कि हिन्दी को जनता से जोड़ने का कार्य केवल संस्थाएं ही नहीं, बल्कि लोग भी कर सकते हैं. इसके लिए जुनून होना चाहिए. इसी क्रम में जस्टिस गौतम चौधरी ने खुद हिन्दी में फैसला सुनाने की दिशा में नया कीर्तिमान बनाया है. उन्होंने अपने 4 साल से भी कम के कार्यकाल में अब तक 13 हजार से अधिक फैसले हिन्दी में दिए हैं.

जानकारी के मुताबिक एकल पीठ में वह रोजाना 35 से 40 फैसले देते हैं. इसमें कुछ अंतरिम फैसले होते हैं तो कुछ फाइनल निर्णय. जस्टिस गौतम चौधरी ने 12 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति के तौर पर शपथ ली थी. इसके बाद से ही उन्होंने हिन्दी में फैसले लिखने का काम शुरू किया था. डॉक्टर कफिल खान मामले में भी उन्होंने ही फैसला दिया था. हिन्दी में दिया गया यह बहुचर्चित फैसला ऐतिहासिक माना जाता है.

इसके अलावा भी उन्होंने तमाम जमानत याचिकाओं, पुनरीक्षण अर्जियों व अन्य मामलों में भी हिन्दी में ही फैसले दिए हैं. न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने कॉन्वेंट स्कूल में इंग्लिश मध्यम से पढ़ाई की है. लेकिन उनका संकल्प है कि देश की मातृ भाषा हिन्दी को आगे ले जा है. उनका कहना है कि हिन्दी उनकी मां है और अन्य भारतीय भाषाएं मौसी. इसलिए मौसियों से पहले मां को तरजीह देते हुए अपने फैसले हिन्दी में सुनाने की कोशिश करते हैं.

 

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