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नहीं सुधर रहा है चीन, भारत की आँख में फिरसे धूल झोकने की तैयारी

भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी पर फिलहाल गतिरोध खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। चीन एकबार फिर भारत के आंखों में धूल झोंकने की फिराक में है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पीएलए के पोस्टों को बेहतर बनाने, सैनिकों का स्थानांतरण और पिछले 30 दिनों में अक्साई चिन के कब्जे में संघर्ष वाले जगहों पर तेजी से सड़क के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना- ये सभी स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि चीन एलएसी के 3,488 किमी लाइन पर लंबे गतिरोध के लिए खुद को तैयार कर रही है।


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दोनों देशों के बीच स्थिति को सामन्य करने के लिए जारी बातचीत के बावजूद चीन लगातार इस तरह की हरकतें कर रहा है। आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच नौवें दौर की बातचीत जल्द ही होने वाली है। वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के अनुसार काराकोरम दर्रा से 30 किमी पूर्व समर लुंगपा में 10 से अधिक डगआउट का निर्माण कर रहा है। दौलत बेग ओल्डी डीबीओ से 70 किमी पूर्व में क़िज़िल जिल्गा में सेना की तैनाती बढ़ा रहा है। भारत और चीन के बीच एलएसी पर इन जगहों पर गतिरोध है। जैसा कि 17 जून, 2002 को नक्शों के असफल आदान-प्रदान के दौरान भी यह गतिरोध देखने को मिला था।
यह अंतर समर लुंगपा में 176 वर्ग किमी और माउंट साजुम में 129 वर्ग किमी के रूप में महत्वपूर्ण है। हालांकि साउथ ब्लॉक यानी भारत के रक्षा मंत्रालय का एक वर्ग मानता है कि पीएलए जल्द ही गतिरोध को खत्म करना चाहता है। शेंडोंग से स्पंगगुर गैप तक चुशुल के दक्षिण में सिर्फ 60 से अधिक भारी उपकरण परिवहन वाहनों की आवाजाही देखी गई है। साथ ही लद्दाख में एलएसी के साथ चीनियों द्वारा निगरानी उपकरण लगाए जा रहे हैं। चीनी टैंक ट्रांसपोर्टर्स को भी एलएसी से 60 किमी पूर्व गोबक पर देखा गया है, जो दर्शाता है कि पीएलए ने अपने गार्ड को कम नहीं होने दिया है। डेमचोक के उत्तर-पूर्व में रुडोग मापोथेंग, सुमक्सी और चांग ला के पश्चिम में अक्साई चिन में सैनिकों की वापसी हुई है।