ये बात तो सच है कि राजनीति की सियासत में कोई किसी का नहीं होता… ना ही कोई दोस्त, ना ही कोई दुश्मन… जब राजनीति रोटी सेंकनी होती है दोस्त दुश्मन… दुश्मन होता…
वही कभी एक साथ चुनाव लड़ने वाले यूपी के दो बड़े दल आज एक दूसरे के विरोध में खड़े नजर आ रहे हैं। 2017 में मायावती के साथ लड़े सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीएसपी मुखिया को बड़ा झटका देते हुए उनकी पार्टी में सेंध लगा दी है। अखिलेश यादव ने बीएसपी के 8 विधायकों से मुलाकात की है. माना जा रहा है कि अखिलेश के निर्देश पर ही एमएलसी उदयवीर सिंह ने इस पूरी सियासी कवायद में मध्यस्थता निभाई है।
यूपी की सियासत में एक वक्त ऐसा भी आया था जब एक दूसरे के धुर विरोधी चुनावी समर में एक साथ मिलकर ताल ठोक रहे थे। वक्त बदला और सपा और बसपा का गठबंधन टूट गया। इस गठबंधन को तोड़ने का काम करने वाली मायावती को अखिलेश यादव ने अब सबक सिखाया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने वाले बीएसपी के विधायकों को आश्वासन मिला है कि समाजवादी पार्टी उन्हें आगामी विधानसभा में टिकट देगी।
इन लोगों ने की अखिलेश यादव से मुलाकात
– असलम राईनी
– हाकिम लाल बिंद
– हरि गोविन्द भार्गव
– मुजतबा सिद्दीकी
– असलम चौधरी
– वन्दना सिंह
– सुषमा पटेल
गौरतलब है कि, 2017 में बसपा के 19 विधायक जीते थे जिसमें अनिल सिंह और रामवीर उपाध्याय को पार्टी ने निलंबित कर दिया। वही मुख्तार अंसारी जेल में हैं और रितेश पाण्डेय सांसद हो गए। इसके बाद बसपा विधायकों की संख्या 15 पर आकर सिमट गई। 15 विधायकों में से बुधवार को 8 विधायकों ने बगावती तेवर दिखाते हुए सपा अध्यक्ष से मुलाकात कर मायावती की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।