स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र के तहत विधानपरिषद की नौ सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों ने पहले ही निर्विरोध जीत हासिल कर ली थी। 27 सीटों पर आज मतगणना हुई जिनमें से 24 पर बीजेपी का पचरम लहरा गया। आजमगढ़ में बीजेपी से निष्कासित पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत सिंह रिशू ने बतौर निर्दल उम्मीदवार बीजेपी के अरुण कांत यादव को 2813 मतों से हराया तो वहीं भाजपा के अलावा जनसत्ता दल ही एकमात्र ऐसी पार्टी रही जिसने यूपी एमएलसी चुनाव में जीत हासिल की। इसके उम्मीदवार अक्षय प्रताप सिंह प्रतापगढ़ सीट से जीते। गौरतलब है कि अक्षय प्रताप, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के बेहद करीबी हैं। वह लगातार एमएलसी चुनाव जीतते आए हैं लेकिन इस बार उनकी राह काफी चुनौतीपूर्ण मानी जा रही थी।
अक्षय प्रताप की जीत पर खुशी जाहिर करते हुए राजा भैया ने कहा कि सभी पंचायत प्रतिनिधियों और जिन लोगों ने अक्षय प्रताप के चुनाव को अपना चुनाव मानकर लड़ा उन सभी के प्रति आभार प्रकट करना चाहता हूं। उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं। क्या इस चुनाव में सत्ता बल के दुरुपयोग का विपक्ष का आरोप सही है? इस सवाल के जवाब में राजा भैया ने कहा कि हर चुनाव अपने साथ कुछ चुनौतियां लाता है। हारने के बाद प्रत्याशी कोई न कोई बहाना ढूंढता है। जो भी प्रत्याशी हारते हैं कभी किसी ने ये नहीं कहा होगा कि हमारी लोकप्रियता कम थी इसलिए हम हार गए। हम भी सत्ता के खिलाफ चुनाव लड़े और जीते हैं लेकिन हमको तो कहीं कोई भेदभाव देखने को नहीं मिला कि कह सकें कि प्रशासन ने कहीं अन्याय किया।
क्या है राजा भैया की रणनीति
जनसत्ता दल पूरे प्रदेश में भाजपा के अलावा एमएलसी चुनाव में जीत हासिल करने वाली अकेली पार्टी है। इसके पहले यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी बिना किसी दल से गठबंधन किए जनसत्ता दल के दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल की जबकि बसपा जैसी बड़ी पार्टी को एक ही सीट पर कामयाबी मिल सकी। जाहिर है राजा भैया अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं लेकिन आखिर यूपी की सियासत में उनकी रणनीति क्या है? क्या वे किसी बड़े दल के सम्पर्क में हैं? मीडिया के इस सवाल पर राजा भैया ने कहा कि फिलहाल वह किसी बड़े दल के सम्पर्क में नहीं है। उनकी सिर्फ इतनी ही इच्छा है कि पार्टी के जनप्रतिनिधि जनता की सेवा करते रहें।