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Uttarkashi Tunnel: 17 दिन और 400 घंटे, आखिर कैसे बीते मजदूरों के दिन, खुद सुने उनकी जुबानी

उत्तरकाशी टनल हादसे में 17वें दिन बड़ी सफलता मिली है। आखिरकार टनल में फंसे 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकाल लिया गया है। मजदूरों के सही सलामत निकलने के साथ ही पूरे देश में खुशी का माहौल है। मजदूरों और उनके परिवारों के चेहरे खिले है। दुनियाभर के कई एक्सपर्टस को रेस्क्यू अभियान में शामिल किया गया। टनल में 17 दिन तक फंसे रहने के बाद 41 मजदूर करीब 400 घंटे के लंबे इंतजार के बाद बाहर निकल आए हैं। हालांकि 400 घंटे जो मजदूरों ने सुरंग के अंदर बिताए वो कभी नहीं भूल पाएंगे।

400 घंटे तक रहने के बाद बाहर आए श्रमिकों ने अपने अनुभवों को साझा किया। सुरंग से बाहर आने के बाद सभी श्रमिकों को चिन्यालीसौड़ अस्पताल ले जाया गया। जहां श्रमिकों का पहले चेकअप किया गया। जब डॉक्टरों ने सभी को​फिट बताया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी से सीधे फोन कॉल से बातचीत की। जिसमें श्रमिकों ने अपने अनुभवों को साझा किए। श्रमिकों ने बताया कि वे सुबह उठकर पहले योगा करते और थोड़ी देर वॉक भी करते थे। इस बीच वे अपने दूसरे साथियों का हौंसला भी बढ़ाते रहते थे।

जब खाना आता तो वे सब मिलकर एक साथ एक जगह पर बैठकर खाते और किसी को कम होता तो अपने हिस्से में देते थे। इसके बाद वे सब एक दूसरे के अनुभवों के बारे में बात करते रहते थे। उन्होंने बताया कि अंदर खाने के अलावा कोई काम नहीं था, तो वे कुछ न कुछ बातचीत कर ही टाइम काट लेते थे। पहले तो फोन चार्ज न होने के कारण सिर्फ टाइम देखने के लिए ही फोन देखते थे और फिर स्विच आफ कर देते लेकिन बाद में कंपनी ने सबको फोन और चार्जर भेजा। जिसके बाद वे मनोरंजन भी करने लगे थे।

इसके लिए फोन का सहारा लेते थे। जब भी सुब​ह उठते तो नई उम्मीद के साथ इस बात का इंतजार करते कि शायद आज बाहर निकल आंएगे। जब प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात हुई तब लगा कि अब बाहर आ ही जाएंगे। सभी ने प्रदेश सरकार, एजेंसियों, केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया।

बिहार के सबाह अहमद ने बताया कि हम लोगों को एक दिन भी ऐसा एहसास नहीं हुआ कि कमजोरी घबराहट हुई। हम लोग मिलजुलकर अंदर रहते थे। खाना आता तो सब मिलजुलकर​खाते एक परिवार की तरह अंदर रहते थे। एक जगह खाते, रात में खाना खाने के बाद टहलते थे। ढाई किमी की टनल में रहकर हम घूमते फिरते रहते थे।

उत्तराखंड कोटद्वार के गब्बर सिंह ने बताया कि बाहर से लोगों ने हमारा काफी हौंसला बढ़ाया। जितनी भी एजेंसियां काम कर रही थी, सबने दिन रात एक कर हमें सुकुशल बाहर आए। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से अखिलेश कुमार ने कहा कि हमारी सभी टीमों ने खासकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बहुत मेहनत की। हमें अंदर किसी तरह की कोई कमी नहीं हुई। हमसें ज्यादा बाहर इंतजार कर रहे लोगों को हमारे बाहर आने की खुशी है। हमारा मोबाइल हम बचाकर रखते थे। टाइम देखने के लिए। बाद में हमें कंपनी ने मोबाइल और चार्जर भेजा गया। जिसके बाद हमें अच्छा फील होने लगा और हम मनोरंजन करने लगे। हमारे सभी 41 मजदूर सभी सेफ हैं।

अखिलेश ने कहा कि सुरंग के बाहर आने के बाद सबसे पहले परिजनों ने बात हुई। जो कि काफी खुश हैं। बिहार छपरा सोनु कुमार ने कहा कि सभी लोगों ने बहुत कोशिश की, हमारी परिजनों से भी लगातार बातचीत होती रही।

ये श्रमिक रहे सुरंग के अंदर

गब्बर सिह नेगी, उत्तराखंड
सबाह अहमद, बिहार
सोनु शाह, बिहार
मनिर तालुकदार, पश्चिम बंगाल
सेविक पखेरा, पश्चिम बंगाल
अखिलेश कुमार, यूपी
जयदेव परमानिक, पश्चिम बंगाल
वीरेन्द्र किसकू, बिहार
सपन मंडल, ओडिशा
सुशील कुमार, बिहार
विश्वजीत कुमार, झारखंड
सुबोध कुमार, झारखंड
भगवान बत्रा, ओडिशा
अंकित, यूपी
राम मिलन, यूपी
सत्यदेव, यूपी
सन्तोष, यूपी
जय प्रकाश, यूपी
राम सुन्दर, उत्तराखंड
मंजीत, यूपी
अनिल बेदिया, झारखंड
श्राजेद्र बेदिया, झारखंड
सुकराम, झारखंड
टिकू सरदार, झारखंड
गुनोधर, झारखंड
रनजीत, झारखंड
रविन्द्र, झारखंड
समीर, झारखंड
विशेषर नायक, ओडिशा
राजू नायक, ओडिशा
महादेव, झारखंड
मुदतू मुर्म, झारखडं
धीरेन, ओडिशा
चमरा उरॉव, झारखंड
विजय होरो, झारखंड
गणपति, झारखंड
संजय, असम
राम प्रसाद, असम
विशाल, हिमाचल प्रदेश
पु्ष्कर, उत्तराखंड
दीपक कुमार, बिहार

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