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जानें पहली बार कब चर्चा में आया ‘लव जिहाद’, कौन-कौन से धर्म है इसका शिकार

लखनऊ: इन दिनों लव जिहाद का मुद्दा सुर्खियों में है। मध्य प्रदेश में इस पर कानून बनने का ऐलान हुआ तो यूपी में योगी सरकार ने भी लव जिहाद को लेकर सख्त कानून बनाने की तरफ कदम बढ़ा दिया। और अध्यादेश पास पर मुहर लगा दी है। लेकिन आपको बता दें कि लव जिहाद कोई पुराना शब्द नहीं है बल्कि मात्र 12 वर्ष पुराना है।

लव जिहाद शब्द का अर्थ और इतिहास

लव जिहाद या जिहाद, कथित रूप से मुस्लिम पुरुषों द्वारा गैर-मुस्लिम समुदायों से जुड़ी महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए लक्षित करके प्रेम का ढोंग रचना है। यह अवधारणा 2009 में भारत में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार केरल और उसके बाद कर्नाटक में राष्ट्रीय ध्यानाकर्षण की ओर बढ़ी। यह शब्द भारत के सन्दर्भ में प्रयोग किया जाता है किन्तु कथित रूप से इसी तरह की गतिविधियाँ यूके आदि देशों में भी हुई हैं। केरल हाईकोर्ट के द्वारा दिए एक फैसले में लव जेहाद को सत्य पाया है। नवंबर 2009 में, पुलिस महानिदेशक जैकब पुन्नोज ने कहा कि कोई भी ऐसा संगठन नहीं है जिसके सदस्य केरल में लड़कियों को मुस्लिम बनाने के इरादे से प्यार करते थे। दिसंबर 2009 में, न्यायमूर्ति के.टी. शंकरन ने पुन्नोज की रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और निष्कर्ष निकाला कि जबरदस्ती धर्मांतरण के संकेत हैं। अदालत ने “लव जिहाद” मामलों में दो अभियुक्तों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में इस तरह के 3,000-4,000 सामने आये थे।

कर्नाटक सरकार ने 2010 में कहा था कि हालांकि कई महिलाओं ने इस्लाम में धर्म परिवर्तन किया है लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें मनाने का कोई संगठित प्रयास नहीं किया गया। उत्तर प्रदेश पुलिस ने सितंबर 2014 में पिछले तीन महीनों में लव जिहाद के छह मामलों में से पांच में से धर्म परिवर्तन के प्रयास का कोई सबूत नहीं पाया। पुलिस ने कहा कि बेईमान पुरुषों द्वारा छल के छिटपुट मामले एक व्यापक साजिश के सबूत नहीं हैं।

2017 में, केरल उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में लव जिहाद के आधार पर एक मुस्लिम पुरुष से हिंदू महिला के विवाह को अमान्य घोषित किया। तब मुस्लिम पति द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील दायर की गई थी, जहां अदालत ने लव जिहाद के पैटर्न की स्थापना के लिए सभी समान मामलों की जांच करने के लिए एनआईए को निर्देश दिया।

यह अवधारणा पहली बार 2009 में केरल और कर्नाटक में व्यापक धर्मांतरण के दावों के साथ भारत में राष्ट्रीय स्तर पर सुर्ख़ियों में आई। लेकिन ऐसे दावे बाद में पूरे भारत, पाकिस्तान और यूनाइटेड किंगडम में फैल गए। 2009, 2010, 2011 और 2014 में भारत में लव जिहाद के आरोपों ने विभिन्न हिन्दू, सिख और ईसाई संगठनों में चिंता जताई जबकि मुस्लिम संगठनों ने आरोपों से इनकार किया। यह अवधारणा कई लोगों के लिए राजनीतिक विवाद और सामाजिक चिंता का स्रोत बनी हुई है हालांकि 2014 तक किसी संगठित लव जिहाद के विचार को रॉयटर्स के अनुसार भारतीय मुख्यधारा द्वारा व्यापक रूप से साजिश सिद्धांत के रूप में माना गया था।