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प्रतापगढ़: एसडीएम की खिलाफ कार्यवाही, लखनऊ हाई कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रतापगढ़ के रानीगंज तहसील के एसडीएम के खिलाफ जांच के आदेश प्रमुख सचिव, राजस्व को दिए हैं। अपने आदेश में न्यायालय ने एसडीएम के खिलाफ भी काफी सख्त टिप्पणियां की हैं। एसडीएम राहुल कुमार यादव पर आरोप है कि उन्होंने बंटवारे का मुकदमा अपने कोर्ट में पंजीकृत करने से इसलिए इंकार कर दिया ताकि याची के विपक्षी प्रश्नगत जमीन पर कब्जा कर सकें।

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यह आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने फरीदा बानो की याचिका पर पारित किया। याची का कहना था कि उसने व कुछ अन्य लोगों ने प्रतापगढ़ के रसोइया गांव में गाटा संख्या 392 और 393 की कुछ जमीनें खरीदीं। उक्त जमीनों का बंटवारा नहीं हुआ था जिसके चलते याची ने एसडीएम कोर्ट में बंटवारा का वाद दाखिल किया। लेकिन उसके वाद को दाखिल करने से ही इंकार कर दिया गया। याची ने आरोप लगाया कि इस दौरान याची के विपक्षियों ने प्रश्नगत जमीन पर निर्माण शुरू कर दिया व एसडीएम द्वारा वाद पंजीकृत करने से इंकार भी उन्हीं विपक्षियों को फाएदा पहुंचाने के लिए किया गया।

न्यायालय ने पूर्व की सुनवाईयों पर एसडीएम से निर्देश प्राप्त कर अवगत कराने को कहा परंतु एसडीएम की ओर से कोई जवाब न मिलने पर कोर्ट ने उन्हें तलब कर लिया। न्यायालय के आदेश पर हाजिर हुए एसडीएम राहुल कुमार यादव कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।

न्यायालय की टिप्पणी :

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि एसडीएम कोर्ट एक महत्वपूर्ण कोर्ट होती है जहां बड़ी संख्या में राजस्व और जमीनों से सम्बंधित मुकदमे आते हैं। कानूनी उपचार एक मौलिक अधिकार है। किसी भी अथॉरिटी को यह अधिकार नहीं कि वह एक नागरिक का वाद दाखिल करने से ही मना कर दे जबकि यह नियमों के तहत दाखिल किया गया है।

न्यायालय ने कहा कि यह परेशान करने वाली बात है कि एक जिम्मेदार अधिकारी जो एक न्यायालय का पीठासीन अधिकारी भी है, उसने प्रथम दृष्टया अपने दायित्वों का त्याग कर दिया जो और कुछ नहीं एक नागरिक के कानूनी उपचार प्राप्त करने के मौलिक अधिकार का खुलेआम उल्लंघन है। न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ एसडीएम राहुल कुमार यादव के खिलाफ जांच तीन माह में पूर्ण करने के आदेश प्रमुख सचिव, राजस्व को दिये।