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Magh Mela 2021: संगम में स्नान करने पर बने ये नियम, बदला दिखेगा माघ मेले का स्वरूप

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया पर अपना कप्जा कर रखा है इस कोरोना वायरस के संक्रमण काल में माघ मेले को ‘संगम’ की रेती पर 14 जनवरी से आयोजित होने जा रहा हैं. इस मेले को लेकर सलाहकार समिति ने पहली बार बैठक आयोजन कराया है जिसकी तस्वीर काफी हद तक साफ हो गयी है. डीएम भानु चन्द्र गोस्वामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में डीएम ने साफ कर दिया है कि, बगैर कोविड की निगेटिव जांच रिपोर्ट के मेले में आने वाले श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और साधु संतों को प्रवेश नहीं मिलेगा. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि, मेले में आने वाले लोगों को अधिकतम तीन दिन पुरानी आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट लानी अनिवार्य होगी. इसके साथ ही मेले में आने वाले कल्पवासियों का डाटा बेस भी तैयार किया जायेगा और 15-15 दिनों में दो बार रैपिड एंटीजेन किट से हर कल्पवासी की कोविड जांच भी करायी जायेगी. इसके साथ ही मेले में अधिक भीड़ भाड़ न हो इस बार मेले में जरुरी दुकानों को छोड़कर दुकानों पर भी पाबंदी लगायी जा रही है.

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डीएम भानु चन्द्र गोस्वामी ने कहा- पॉजिटिव मरीज मिलने पर सभी लोगों को 15 दिनों का आइसोलेट-

बैठक में डीएम ने दंडी बाड़ा, खाक चौक,आचार्य बाड़ा और तीर्थपुरोहितों की संस्था प्रयागवाल से अपील की है कि वे श्रद्धालुओं को इस बात के लिए प्रेरित करें कि कम से कम लोग मेले में आयें और घर पर ही संकल्प लेकर कल्पवास करें. डीएम भानु चन्द्र गोस्वामी ने कहा है कि किसी भी शिविर में एक भी पॉजिटिव मरीज निकलने पर सभी लोगों को 15 दिनों के लिए आइसोलेट करना पड़ेगा, जिससे कल्पवास खंडित हो जायेगा. उन्होंने कहा है कि मेले के प्रति लोगों की धार्मिक आस्था है, इसलिये किसी को मेले में आने से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन कोरोना के खतरे के प्रति लोगों को जागरुक और आगाह किया जा सकता है. डीएम ने अपील की है कि जिन लोगों को डायबिटीज, दिल की बीमारी है वे कतई मेले में न आयें, क्योंकि उनके संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा है. उन्होंने कहा है कि मेले में भीड़ को नियंत्रित करने का प्राधिकरण हर संभव कोशिश भी करेगा.

माघ मेला 11 मार्च तक-

गौरतलब है कि इस बार का माघ मेला 14 जनवरी मकर संक्रान्ति से 11 मार्च महाशिव रात्रि के पर्व तक चलेगा. हांलाकि कोविड के चलते इस बार मेले का क्षेत्रफल घटाकर 538.34 हेक्टेयर कर दिया गया है और चार सेक्टरों में ही मेला बसाया जा रहा है. लेकिन माघ मेले में हर साल स्नान पर्वों को मिलाकर करोड़ों श्रद्धालु आते हैं. इनमें पांच लाख के लगभग कल्पवासी और हजारों साधु संत भी शामिल होते हैं. जिन्हें कोरोना काल में नियन्त्रित करना और सुरक्षित घर वापस भेजना मेला प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

मकर संक्रान्ति से माघ मेले की शुरुआत-

इस बार 14 जनवरी को पड़ने वाले पहले स्नान पर्व मकर संक्रान्ति से माघ मेले की शुरुआत होगी. माघ मेले में 28 जनवरी को पौष पूर्णिमा का स्नान पर्व, 11 फरवरी को मौनी अमावस्या, 16 फरवरी को बसंत पंचमी, 27 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 11 मार्च को महाशिवरात्रि के पर्व के साथ माघ मेले का समापन होगा. कोविड के चलते माघ मेले में हर बार बनने वाले पांच पान्टूल ब्रिज के बजाय इस बार लोक निर्माण विभाग द्वारा तीन पान्टूल ब्रिज ही बनाये जाने की तैयारी हो रही है. जबकि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पहले की ही तरह लोक निर्माण विभाग चेकर्ड प्लेट पाथ वे, साइनेज का कार्य कराया जा रहा है. डीएम के मुताबिक जमीनों का आवंटन के साथ ही तय समय में मेले से सम्बन्धित सभी काम पूरे कर लिये जायेंगे. डीएम के मुताबिक कोविड को देखते हुए स्नान घाटों की भी संख्या बढ़ाई जा रही है. पिछले सालों में जहां 18 स्नान घाट बनाये जाते थे. वहीं इस बार 30 से 36 घाट बनाये जाने की तैयारी चल रही है.