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जौनपुर: माफिया धनंजय सिंह क्या भेद पाएंगे अखिलेश यादव का किला? जानें चुनावी समीकरण

यूपी का ये माफिया डॉन वैसे तो फरार है, लेकिन उसके धनुष की टंकार से बड़े बड़ों का सिंघासन हिल रहा है.यही नही सोशल मीडिया पर बाहुबली माफिया क्रिकेट खेल रहा है मगर पुलिस रीकॉर्ड में लापता है।

बाहुबली मायावी माफिया को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना ब्रह्मास्त्र भी दे डाला है जिससे उत्तर प्रदेश की मल्हनी विधान सभा सीट पर भयानक महाभारत होना तय है.जी हां हम बात कर रहे है यूपी के जौनपुर जिले के बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह की.धनंजय सिंह जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे है उनका चुनाव निशान है धनुष बाण वाला तीर।

उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू ने अपना प्रत्याशी बनाया है,हालाकि ये कोई नया नहीं है इससे पहले भी साल 2007 में धनंजय सिंह ने जदयू का तीर चला चलाया था’और जीते भी थें।2020 उपचुनाव में सपा के लकी यादव से मामूली अंतर से पराजित हो गऍ थें।अब इस धनंजय सिंह के तीर लेकर उतरने से मल्हनी विधानसभा सीट फिर से चर्चा में आ गया है।धनंजय सिंह पूर्वांचल का वो चर्चित नाम हैं जो हर किसी के जुबान पर रहता है।

 आज हम आपको धनंजय सिंह से जुडी वो हर कहानी बताएगें जो आप जानना चाहते हैं कि कौन है धनंजय सिंह?बाहुबली से कैसें बना सांसद?पूर्वांचल का राॅबिन हुड कैसे बना धनंजय सिंह?

धनंजय सिंह का जन्म बंसफा गांव में 20 अक्तूबर 1972 को हुआ था।1990 में हाईस्कूल की पढाई महर्षि विद्या मंदिर से की और इसी दौरान उन पर अपने शिक्षक गोविन्द उनियाल की हत्या का आरोप लगा।

फिर धनंजय ने जौनपुर के टीडी काॅलेज मे पढाई के दौरान ही छात्र राजनीति मे पांव रखा। और ये लड़का जब लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंचा तो यहां भी अपराधिक गतिविधियों में इसका नाम आया।धनंजय सिंह पर आज हत्या,डकैती, रंगदारी,लुट और धमकी समेत दर्जनो आपराधिक मामले दर्ज हैं ।

धनंजय सिंह का नाम मऊ जिले के ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह हत्या में सामने आया और धनंजय को कोर्ट में सरेंडर करना पडा,हालांकि जमानत पर रिहा होने बाद से ही बाहुबली धनंजय सिंह फरार हैं और पुलिस से आंख मिचौली कर रहें हैं।

अपराध की दुनिया में अपना वर्चस्व बनाने के साथ ही धनंजय सिंह ने राजनीति का रुख किया और 2002 में रारी विधानसभा से पहला चुनाव लड़े और निर्दलीय जीत गयें फिर 2007 में जदयु के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद बसपा के टिकट पर 2009 मे ये बाहुबली लोकसभा चुनाव जीत कर संसद का दरवाजा खटखटा दिया,फिर मयावती ने इन्हे बाद में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

साल 2012 के बाद से बाहुबली धनंजय सिंह राजनिती में रसुख गिरने लगा।पत्नी पर नौकरानी की हत्या का आरोप लगा और जेल भी जाना पड़ा था।2012 में पत्नी नेमल्हनी से चुनाव लड़ा लेकिन हार गई।इसके बाद धनंजय सिंह को कभी जीत नसीब नहीं हुई।

साल 2020 के उपचुनाव मे भी वो चुनाव लडे और सपा के लकी यादव से मामूली अंतर से पराजित हो गऍ।लकी यादव पुर्व मंत्री पारसनाथ यादव के बेटे हैं और मौजूदा विधायक और सपा प्रत्याशी भी।हालांकि पिछले साल धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला जौनपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष का चुनाव जीतने मे जरुर सफल हो गई।

पूर्वांचल का ये शेर एक बार फिर से चुनावी ताल ठोकने को तैयार हैं।सपा से लकी यादव इस बार फिर से प्रत्याशी हैं।यहां से उनके पिता स्व-कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव दो बार विधायक रह चुके हैं।

2012 से अब तक इस सीट पर सपा का कब्ज़ा रहा हैं ।वहीं भाजपा ने पुर्व सांसद केपी सिहं को यहां से प्रत्याशी बनाया हैं।वे स्व-उमानाथ सिंह के बेटे हैं और 2019 लोकसभा चुनाव मे सपा के श्याम सिंह यादव से हार गऍ थें ।कांगेस और बसपा भी अपने जीत को रणतियां बनाने मे जुटी हुई हैं ।बाहुबली धनंजय सिंह का खेमा इस बार जीत का दावा कर रहा हैं,लेकिन यह देखना रोचक होगा कि इस बार के चुनाव में मल्हनी की जनता किसे अपना आशीर्वाद देती है।वैसे एक बार फिर बाहुबलीं धनंजय सिंह की चर्चा प्रदेश की राजनीति में खूब हो रहीं हैं।