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देवरिया नरसंहार: कब मिलेगा न्याय, एक के ऊपर एक पड़ी थी खून से सनी लाशें…पुलिस बना रही थी वीडियो

Deoria : जिले में 2 अक्टूबर को हुए सत्य प्रकाश दूबे सहित पांच परिजनो की नरसंहार की पृष्ठभूमि तो सरकारी विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही से पहले से ही लिखी जा रही थी लेकिन घटना के दिन भी जब दूबे परिवार के सदस्यों को गोली मारी गई, धारदार हथियारों से अंग काटे गए तो सूचना पर पहुंची पुलिस पहले खुद के बचाव में वीडियो बना रही थी। इस नरसंहार का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसे संभवत: पुलिसकर्मियों ने हो बनाया है।वीडियो में दिख रहा है कि परिवार के 6 लोग एक ही जगह पर पड़े हैं। सभी के शरीर पर धारदार हथियार से हमले किए गए हैं, गोलियां लगी हुई हैं, शरीर से खून निकल रहा है।

वीडियो में साफ दिख रहा है की एक लड़की के भी शरीर में हरकत है
इस वीडियो में पूरे घर का सामान बिखरा हुआ दिख रहा है। लाठी-डंडे और किचन का सामान सब बिखरा पड़ा है। सबसे आगे लेटी नाबालिग बच्ची के हाथ-पैर हिल रहे हैं। वहीं, उसके बगल में लेटा एक बच्चा खून से लथपथ दिख रहा है। इस वीडियो में दो बच्चे साफ तौर पर जिंदा दिख रहे हैं। जिनमें एक लड़का और एक लड़की है। उनका हाथ- पैर भी हिल रहा है। शायद बाकी घायलों की भी उस वक्त सांसें चल रही होगी। लेकिन, हैरानी वाली बात यह है कि वीडियो बनाने की जगह उन्हें अगर तत्काल अस्पताल भेजा गया होता तो शायद सिर्फ एक नहीं दो बच्चों की जान बच जाती।

अगर पुलिस ने वीडियो नही बनाया फिर किसने बनाया
दूसरी तरफ अगर यह भी मान लिया जाए कि यह वीडियो पुलिस ने नहीं बल्कि किसी ग्रामीण ने बनाया है तो अब तक इतने बड़े हत्याकांड का विवाद से लेकर 5 लोगों की हत्या होने तक का कोई वीडियो सामने क्यों नहीं आया? लेड़हा टोला में हुई 5 लोगों की हत्या का वीडियो तो दूर, पुलिस को अब तक इसका एक चश्मदीद भी नहीं मिला है। हालांकि, सत्यप्रकाश दुबे के घर के आसपास घर है। क्यों इस नरसंहार का कोई चश्मदीद नही मिल रहा है। क्या इसमें भी कोई कहानी है।

प्रेम यादव के लोग ही नही, दूबे के पड़ोसी भी हैं नामजद
इस नरसंहार मामले में सत्यप्रकाश दुबे की बड़ी बेटी शोभिता ने जिन 27 लोगों को नामजद आरोपी बनाया है, उनमें कई प्रेम यादव के टोले के नहीं बल्कि सत्यप्रकाश के पड़ोसी भी शामिल हैं। शोभिता ने बताया की प्रेम के जमीन पर गिरते ही गांव के लोगों ने मेरा पूरा घर घेर लिया। जिसकी वजह से परिवार के लोग डरकर अंदर चले गए और दरवाजा बंद कर लिए थे। उन्हें भागने का भी मौका नहीं मिला। फिर जब प्रेम के परिजन आए तो गांव वालों के साथ मेरे घर का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस गए और सभी को मारने लगे।

लगभग 3 घंटे तक चला खूनी खेल, वीडियो किसी ने नहीं बनाया
ऐसे में यह तो साफ है कि 5 लोगों की हत्या सिर्फ प्रेम यादव के परिजन अकेले नहीं कर सकते, बल्कि उसमें गांव के अन्य लोग भी शामिल हैं। शायद इसीलिए किसी ने इस लोमहर्षक नरसंहार का वीडियो तक नही बनाया। गांव वालो ने तो यहां तक कहा की जब पुलिस आई तब उन्हे इतनी बड़ी घटना की जानकारी मिली। ग्रामीणों की यह बात गले के नीचे नही उतर राहिभाई।

जल्दबाजी में पुलिस ने मृत व्यक्ति को भी बना दिया मुलजिम
इस मामले में मुकदमा दर्ज करने में पुलिस की एक और खामी सामने आई है। जल्दबाजी के चक्कर में पुलिस ने दो साल पहले मृत व्यक्ति को भी घटना में आरोपी बना दिया है। पुलिस की इस कार्यशैली पर अब लोग सवाल खड़ा रहे हैं। 27 नामजद और 50 अज्ञात पर केस दर्ज हुआ है। जिसमें भाटपाररानी विधानसभा में स्थित खामपार थाना क्षेत्र के केहुनिया में भी 8 लोग आरोपी बनाए गए। इनमें एक आरोपी की मौत दो साल पहले हो चुकी है। ऐसे में अब धीरे-धीरे पुलिस की लापरवाही कार्रवाई की असलियत अब सामने आ रही है।इस मामले में खामपार थाना क्षेत्र के केहुनिया के रहने वाले दिवाकर तिवारी पुत्र रबिन्द्र तिवारी, अमरनाथ नाथ तिवारी, पवन तिवारी पुत्र अमरनाथ, श्रीप्रकाश दुबे, जयप्रकाश दुबे व श्रीराम दुबे पुत्रगण ब्रिजनारायन दुबे, प्रभात दुबे पुत्र श्रीप्रकाश, बीरू दुबे पुत्र श्रीराम दुबे पर मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें जयप्रकाश की मौत दो साल पहले हो चुकी है। केहुन‍ियां के ग्राम प्रधान रामअशीष ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा क‍ि जब जयप्रकाश की दो साल पहले मौत हो चुकी है तो उनपर मुकदमा कैसे हो सकता है?

 

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