मध्यप्रदेश: ये तो पहले से तय था की MP में जितने नाम CM की रेस में है वह सिर्फ दौड़ते रह जाएंगे और सेहरा किसी ऐसे शख्स के सजेगा जिसका नाम सुन सब हैरान रह जाएंगे। ये अनुमान इसलिए भी था क्योंकि भाजपा की कमान जब से PM नरेंद्र मोदी – और अमित शाह के हाथ आई है तब से राष्ट्रपति पद को लेकर चौंकाने वाले नाम रहे हो या छोटे छोटे पदों को लेकर फैसला, हर बार मोदी -शाह ने जनता को हैरान किया है। हालांकि ये बात तो सिर्फ एक रिकॉर्ड के तौर पर देखी जाएगी। लेकिन सबसे अहम है की मोहन यादव नाम के तीर से मोदी -शाह ने कितने निशाने लगाए है। मोहन यादव के जरिए मोदी शाह ने किसका शिकार किया? किस किस का शिकार करना है इसकी असली लिस्ट तो मोदी शाह के पास ही होगी, लेकिन जहां तक बात अनुमान की रही तो मोहन यादव नाम के तीर से सबसे पहले तो शिवराज मामा नाथ दिए गए क्योंकि मामा मोदी शाह के समकक्ष नेता माने जाते थे और वह कभी भी बड़ी दावेदारी कर सकते थे ऐसे में उनकी छुट्टी की गई। वहीं मोदी और शाह ने अपने फैसले से प्रहलाद पटेल, नरेंद्र तोमर, कैलाश विजयवर्गीय जैसे धाकड़ नेताओं को वर्तमान में हेलीकॉप्टर से उतार जीप पर बैठा दिया। और पूरी भाजपा को ये संदेश दिया है की मोदी – शाह कभी भी किसी भी सूरमा को जमीन पर ला सकते है। फिलहाल इन नेताओं का मोदी और शाह 2024 में अच्छा इस्तेमाल कर तीसरी बार देश में कमल खिला सकते है।
वही अभी तक तो उन भाजपाइयों की बात हुई है जो मोहन यादव नाम के तीर का शिकार हुए है। हालांकि ये काम मोदी और शाह मोहन यादव छोड़ किसी भी चेहरे के सहारे कर सकते थे लेकिन मोहन यादव के जरिए भाजपा को असली फायदा तो मध्य प्रदेश ही नहीं यूपी, बिहार, हरियाणा, राजस्थान में मिलने वाला है। क्योंकि इन सभी प्रदेशों में यादव बिरादरी की तादाद सत्ता बदलने की ताकत रखती है, मोहन यादव मध्य प्रदेश में तो यादवों का वोट भाजपा के खेमे में लाएंगे ही बल्कि यूपी, बिहार में यादवों की दुश्मन मानी जाने वाली भाजपा को लेकर यादव समाज की सोच बदलेगी और यादव कुनबे के दिलों में बसे अखिलेश यादव, लालू यादव सरीखे नेताओं के प्रेम में भी सेंध लगेगी। अगर मोदी और शाह की प्लानिंग सफल होती है तो यूपी में सपा और बिहार में राजद के वोट बैंक पर मोहन यादव बड़ा खतरा बन सकते है। इतना ही नहीं मोहन यादव पूरे हिंदू बेल्ट के प्रदेशों में ओबीसी के बड़े नेता बन भी भाजपा को मजबूत बनाएंगे। ये तो मोहन यादव नाम के सिर्फ उतने फायदे है जिनका अनुमान लगा है। बाकी मोहन यादव नाम की चाभी से सियासत का कौन कौन सा ताला खुलेगा इसे PM Modi और Amit Shah के दिमाग में है।