Sharad Purnima 2023: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ महारास किया था. अश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस साल ये तिथि 28 अक्टूबर को पड़ रही है. इस दिन मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा की जाती है. मान्यता है इससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख समृद्धि आती है. इस दिन खीर बनाने और उसका भोग लगाकर सेवन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन क्या आप इसकी वजह जानते हैं? शरद पूर्णिमा के दिन खीर का भोग लगाना क्यों शुभ माना जाता है और इसकी तुलना अमृत से क्यों की जाती है, आइए जानते हैं.
दरअसल माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और इससे अमृत की बरसात होती है. इस दौरान चांद से निकलने वाली किरणे इतनी शक्तिशाली मानी जाती हैं कि इनमें कई तरह के रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है. यही वजह है कि इस दिन चांद की रोशनी में खीर को रखना शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि इससे खीर भी अमृत के समान हो जाती है जिसका सेवन करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है.
क्यों बनाई जाती है खीर?
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद से जुड़ा दूध अमृत समान हो जाता है. ऐसे में इसी दूध की खीर बनाकर सेवन किया जाता है. इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया भी हैं. ऐसे में चंद्रमा को खीर का भोग लगाने को लेकर लोगों में काफी कन्फ्यूजन है.
कब लगाएं खीर का भोग?
चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को रात 01 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर 02 बजकर 23 मिनट समाप्त होगा. सूतक काल 9 घंटे पहले लग जाएगा. वहीं शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर की सुबह 04 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और 28 अक्टूबर की देर रात 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में ज्योतिषाचार्य अंशू पारीक जी के मुताबिक इस साल शरद पूर्णिमा पर खीर का भोग नहीं लगाया जा सकेगा और ना ही पूजा की जा सकेगी, क्योंकि सूतक काल लगने के बाद से ही मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं. हालांकि इस दौरान आप मंत्रों का जाप और कीर्तन कर सकते हैं.