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असेंबली की परीक्षा में योगी आदित्यनाथ करेंगे टॉप या होंगे फेल, ताकतवर महंथ की सियासी कहानी

महज 26 साल का महंथ जब चुनाव जीतकर देश की संसद में पहुंचा तो उसकी विजय गाथा की खबरे मीडिया की सुर्खियां बनी,लेकिन एक दिन ऐसा भी आया जब उसी महंत को भारतीय संसद में फफक कर रोना भी पड़ा, पर कुछ समय बाद भाग्य पलटा और वो रोने वाला युवा सांसद सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री बन गया.

इस शख्स का नाम वैसे तो हमेशा सुर्ख़ियों में रहा है,लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा का विषय वो तब बने जब उनका नाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में घोषित किया गया था… जी हाँ ये है उत्तर प्रदेश के 22 वे मुख्यमत्री , योगी आदित्यनाथ है.

19 मार्च 2017 रविवार के दिन उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.साथ ही अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले लिए.

आईए अब नज़र डालते हैं उनके व्यक्तिगत और राजनैतिक सफर पर

योगी आदित्यनाथ जिनका मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है.उनका जन्म 05 जून 1972 को उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल जिले में स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट है जो फॉरेस्ट रेंजर थे, माता सावित्री देवी एक कुशल गृहिणी है. इनके परिवार में इनके तीन बहनें और तीन भाई है. जिसमें योगी आदित्यनाथ पांचवें नंबर पर है.

योगी आदित्यनाथ की प्रारंभिक शिक्षा पौड़ी उत्तराखंड के प्राथमिक विद्यालय में हुई.प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद योगी आदित्यनाथ ने हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से गणित और विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उनकी अध्यात्म में रुचि बढ़ी और वो राम मंदिर के आंदोलन से जुड़ गए.

योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक करिअर की शुरुआत तो बचपन से हो गयी थी ,कॉलेज में इनकी गिनती अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उभरते हुए नेताओं में की जाने लगी थी.इसलिए इन्होनें छात्र चुनाव संघ में लड़ने की योजना बनाई जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इनको टिकट नहीं दिया, जिसके चलते योगी ने निर्दलीय सदस्य के रूप में नामांकन भरा, जिसमें सन् 1992 में यह चुनाव हार गयें.

मात्र 22 वर्ष की उम्र में योगी ने सांसारिक जीवन को त्यागकर संन्यास ले लिया था.सन्यास जीवन शुरू करने के लिए योगी ने महंत अवैद्यनाथ से मुलाकात की जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया. सन् 15 फरवरी 1994 को मंहत अवैद्यनाथ ने योगी को नाथ संप्रदाय की गुरु दीक्षा दी और उन्हें अपना शिष्य बना लिया. इसके बाद अजय सिंह बिष्ट का नाम बदलकर योगी आदित्यनाथ हो गया.12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ को गोरखनाथ मंदिर का महंत बनाया गया था.

दिल्ली के बाद बिहार में अपनी हार के चलते भारतीय जनता पार्टी बहुत ही ज्यादा चिन्तित थी.इस समय उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ को स्थापित करने की चर्चा हो रही थी.सन् 2016 में गोरखनाथ मंदिर में एक सभा हुई जिसमें आरएसएस के सभी नेता शामिल हुए। इस सभा में यह निर्णय लिया गया कि योगी को मुख्यमंत्री बनाया जायें.इस सभा में संतो ने यह बात कही कि 1992 में जब संतो ने इकट्ठा होकर राम मंदिर बनाने का निर्णय लिया था तब ढांचा तोड़ दिया गया था.

अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में भी आया तो भी मुलायम या मायावती के रहते राम मंदिर नहीं बन पायेंगा. इसके लिए हमें योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना होगा.फिर क्या था 2017 में योगी आदित्यनाथ की एंट्री यूपी की सियासत में मुख्यमंत्री के तौर पर हुई और वही एक बार फिर योगी आदित्यनाथ 2022 विधासभा चुनाव गोरखपुर से लड़ रहे है.

जहाँ उनके साथ चुनावी सफर में शिकस्त देने के लिए समाजवादी पार्टी ने भाजपा के पूर्व नेता उपेन्द्र दत्त शुक्ला की पत्नी सुभावती शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है.वही दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ का मुक़ाबला भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद रावण से होगा.जबकि बहुजन समाज पार्टी ने इसी सीट से ख़्वाजा शमसुद्दीन को टिकट दिया है.अब देखना होगा योगी आदित्यनाथ को जनता कितने नंबरों से फेल या पास करती है.