क्या आपने कभी किसी कुली को बॉडीगार्ड के सुरक्षा घेरे में काम करते देखा है, नहीं ना.. लेकिन यहां एक नहीं बल्कि दो-दो बॉडीगार्ड पटना जंक्शन में कार्यरत कुली धर्मनाथ यादव उर्फ धर्मा को सुरक्षा देते हैं. धर्मनाथ जब दुनिया का बोझ उठाते हैं तो ये दोनों सुरक्षाकर्मी उसके साथ रहते हैं. आखिर क्या है इसका कारण जानें…
आपको बता दे पटना जंक्शन का एक ऐसा कुली, जो दो-दो हथियारबंद पुलिस कर्मी को बतौर बॉडीगार्ड ले लेकर चलता है. एक बिहार पुलिस का जवान तो दूसरा जीआरपी का. दोनों साए की तरह इस कुली के साथ रहते हैं. दोनों बॉडीगॉर्ड के बीच धर्मनाथ यात्रियों का सामान उठाते हैं और बर्थ तक छोड़ आते हैं. सुबह से लेकर देर रात तक रोज यही सिलसिला चलता रहता है. किसी माननीय की तरह प्लेटफॉर्म पर यह कुली दो-दो पुलिसकर्मियों के साथ घूमता है और लोगों का सामान उठाता है.
एक कुली का इतना ठाठ बाट देख हर कोई चौंक जाता है. इतना ही नहीं इस कुली की चर्चा पाकिस्तान तक है. कुली धर्मनाथ की बहादुरी की कहानी से पाकिस्तान भी डरता है. अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा की आखिर इस कुली के इतने ठाठ बाट क्यों है.
क्यों मिला बॉडीगार्ड
बात 27 अक्टूबर 2013 की सुबह 9.30 बजे की है. जब बम धमाके से पटना जंक्शन का पूरा इलाका कांप उठा था. हर तरफ धुआं ही धुआं फैल गया था. उसी धुएं को चीरते हुए कंधे पर लाल गमझा लिए एक व्यक्ति शौचालय से कंधे पर खून से लथपथ पड़े युवक को लेकर बाहर निकलता है. इसके बाद ही पटना में हुए सीरियल बम ब्लास्ट की घटना का पर्दाफाश होता है. वह गमछा वाला व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि पटना जंक्शन पर 1989 से काम करने वाला कुली का धर्मनाथ था और जिस युवक को कंधे पर लिए हुए था वो हार्डकोर आतंकी इम्तेयाज था.
उस दिन कुली धर्मनाथ इम्तियाज को नहीं पकड़ता, तो शायद गांधी मैदान ही नहीं बोधगया बम ब्लास्ट का राज भी नहीं खुलता. इम्तियाज ही वह आतंकवादी था जिसने यह बताया था कि गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की रैली में ब्लास्ट होने वाला है. अगर उस दिन शौचालय से इम्तियाज को इस कुली ने नहीं पकड़ा होता तो गांधी मैदान की तरह महावीर मंदिर भी बम धमाकों से दहल उठता.
पाकिस्तान से मिली धमकी
इस घटना के बाद कुली धर्मनाथ को पाकिस्तान से धमकी मिलने लगी . पूरे बम ब्लास्ट का एक मात्र गवाह होने की वजह से पाकिस्तान से 50 लाख रुप/s का ऑफर भी मिला. जान से मारने का प्रयास भी हुआ, लेकिन धर्मनाथ ने सबको नजरंदाज कर अपनी सुरक्षा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. न्यायालय के आदेश के बाद कुली धर्मनाथ यादव को एक बॉडीगार्ड मुहैया कराया गया. लेकिन यह बॉडीगार्ड सिर्फ रेल परिसर तक ही के लिए था.