जिस पत्रकारिता ने देश की आ जादी में अहम भूमिका निभाई जिसने फिरंगियों के सामने कभी घुटने नहीं टेके उसी पत्रकारिता के घुटने अब गायब नजर आ रहे है। टीआरपी के गोरखधंधे में नामी गिरामी न्यूज़ चैनलों के चेहरे से नकाब हट रहा है। टीआरपी को लेकर कुख्यात हुए अर्णव गोस्वामी की पत्रकारिता का तो हाल न पूछिए। ये जनाब तो देश के सबसे बड़े सुपारीबाज पत्रकार बनकर उभरे है।
वैसे तो देश में निष्पक्ष पत्रकारिता का संकट लम्बे समय से रहा है लेकिन मोदी सरकार में पत्रकारिता लोकतंत्र के लिए संकट बन चुकी है। अभी मुम्बई में रिपब्लिकन भारत न्यूज़ चैनल पर टीआरपी के गोरखधंधे का मुकदमा दर्ज हुआ है कांनूनी शिकंजा कसने के बाद रिपब्लिकन भारत चैनल के मालिक अर्णव गोस्वामी बिलबिला उठे है ।
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‘पूछता है भारत ‘ शो के जरिए बड़े – बड़ों का शिकार करने वाले अर्णव गोस्वामी से उनकी ‘सुपारीबाज’ पत्रकारिता को लेकर सवालों की बौछार है। जिस तरह से बिहार चुनाव से ठीक पहले शुशांत केस को अर्णव ने हाई प्रोफाइल ड्रामा बनाकर रिया चक्रवर्ती को टारगेट किया उससे सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है। पालघर के साधुओं की हत्या में उद्धव ठाकरे और सोनिया गांधी को उल्टे-सीधे नाम लेकर बुलाना और राम मंदिर को लेकर मुलायम सिंह यादव को टारगेट करना सुपारीबाज पत्रकारिता नही तो और क्या है।