एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाने वाले आईपीएस अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार समेत पांच पर एफआईआर दर्ज की गई है। शासन की अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस ने ट्रांसफर–पोस्टिंग में पैसों के लेन–देन के प्रमाण मिलने के बाद दोनों आईपीएस अफसरों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में एफआईआर दर्ज करवाई है। दोनों के खिलाफ नोएड़ा के तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण ने शासन और डीजीपी से शिकायत की थी। शासन के निर्देश पर विजिलेंस की खुली जांच में दोनों पर लगे आरोप सही पाए गए, जिसके बाद एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी गई थी। इससे पहले इस केस की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी। इस टीम ने भी अपनी जांच में दोनों आईपीएस पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि की थी।
विजिलेंस ने इन दोनों अफसरों पर लगे आरोपों की जांच कर शासन से इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की सिफारिश की थी। शासन की सहमति के बाद एफआईआर दर्ज की गई है। जानकारों का कहना है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अब दोनों ही अफसरों के निलंबन पर जल्द फैसला संभावित है। विजिलेंस ने शासन को कुछ दिनों पहले रिपोर्ट भेज कर दोनों अधिकारियों पर लगे अधिकतर आरोपों को सही ठहराया था। सूत्रों के अनुसार अजय पाल शर्मा पर अपनी पोस्टिंग को लेकर बिचौलियों से संपर्क करने के वायस सैपल और इसी आरोप में हिमांशु कुमार के व्हाट्सएप मैसेज के सही होने की पुष्टि हुई है। विजिलेंस ने आरोप के घेरे में आए अफसरों के साथ ही सौदेबाजी में शामिल अन्य लोगों से भी पूछताछ की। इसके बाद विजिलेंस ने दोनों अफसरों पर लगे आरोपों के सभी बिंदुओं को बारीकी से जांचा।
दोनों अफसरों पर भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। गौरतलब है कि नोएडा के एसएसपी रहते हुए वैभव कृष्ण ने पांच आईपीएस अधिकारियों अजय पाल शर्मा, सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण मिश्रा, गणेश साहा और हिमांशु कुमार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। शुरुआती जांच में सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण और गणेश साहा के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके थे। पर अजय पाल और हिमांशु के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए थे, जिसके आधार पर विजिलेंस जांच की सिफारिश की गई थी। अजय पाल अभी पुलिस प्रशिक्षण स्कूल उन्नाव और हिमांशु पीएसी इटावा में तैनात हैं।