Breaking News

“हर दर्द को ताकत में तब्दील करने वाली फूलन देवी की कहानी”

एक औरत जिसने अपनी छोटी सी जिंदगी में तमाम दुख झेले। यही वजह थी कि यूपी के जालौन के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली ये औरत केवल भारत ही नहीं विदेश में भी चर्चित हो गई। हम बात कर रहे हैं दस्यु सुंदरी फूलन देवी की, जिसने 14 फरवरी 1981 के दिन 20 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था, बदला लेने के बाद फूलन महिलाओं के लिए मसीहा बन गई। जुर्म की दुनिया छाेड़कर राजनीति में आई फूलन को लाेगाें ने संसद तक पहुंचाया। आगे पढ़िए फूलन देवी की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें… 

फूलन देवी का जन्म उत्तर प्रदेश के जालौन के पास बने एक गांव पूरवा में 10 अगस्त 1963 में हुआ था। इसी गांव से उसकी कहानी भी शुरू होती है। जहां वह अपने मां-बाप और बहनों के साथ रहती थी। कानपुर के पास स्थित इस गांव में फूलन के परिवार को मल्लाह होने के चलते ऊंची जातियों के लोग हेय दृष्टि से देखते थे। इनके साथ गुलामों जैसा बर्ताव किया जाता था।

जब फूलन 11 साल की हुई, तो उसके चचेरे भाई मायादिन ने उसको गांव से बाहर निकालने के लिए उसकी शादी पुत्ती लाल नाम के बूढ़े आदमी से करवा दी गई। फूलन के पति ने शादी के तुरंत बाद ही उनके साथ दुष्कर्म किया और उन्हें प्रताड़ित करने लगा। परेशान होकर फूलन पति का घर छोड़कर वापस मां-बाप के पास जाकर रहने लगी।

गांव में ही फूलन ने अपने परिवार के साथ मजदूरी करना शुरू कर दिया। उस समय फूलन 15 साल की थी जब कुछ दबंगों ने घर में ही उसके मां-बाप के सामने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इसके बावजूद फूलन के तेवर कमजोर नहीं पड़े। उसके बाद गांव के दबंगों ने एक दस्यु गैंग को कहकर फूलन का अपहरण करवा दिया।

बस यहीं से शुरू हुई फूलन के डकैत बनने की कहानी और उसने 14 फरवरी 1981 को बेहमई गांव में 20 ठाकुरों को लाइन में खड़ा करके गोली मार दी। फूलन देवी का कहना था उन्होंने ये हत्याएं दुष्कर्म का बदला लेने के लिए की थीं।

2001 में केवल 38 साल की उम्र में दिल्ली में घर के सामने ही फूलन देवी की हत्या कर दी गई थी। खुद को राजपूत गौरव के लिए लड़ने वाला योद्धा बताने वाले शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्या के बाद दावा किया था कि उसने 1981 में मारे गए सवर्णों की हत्या का बदला लिया है।