Breaking News

अंडरवर्ल्ड डॉन मुन्ना शुक्ला के लिए जेल में नाचती थी डांसर, कर चूका है DM से लेकर मंत्री तक की हत्या

बिहार की राजनीति में हमेशा से ही आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों का बोलबाला रहा है। चाहे वो राजद के दबंग सांसद शहाबुद्दीन हों, लोजपा के सूरजभान हों या फिर जद (यू) के सुनील पांडे। इनकी पहचान पहले एक दबंग अपराधी के तौर पर बनी, उसके बाद इन लोगों ने राजनीति के गलियारे में अपनी धाक जमाई। ऐसे ही एक दबंग नेता हैं पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला उर्फ विजय कुमार शुक्ला। अपनी आपराधिक रसूख को बढ़ाने के लिए मुन्ना शुक्ला ने भी राजनीति की शरण ली और बन गए बाहुबली विधायक। गोपालगंज के जिलाधिकारी की हत्या समेत कई अन्य आपराधिक मामले इन पर चल रहे हैं। वहीं, बिहार के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में अदालत ने मुन्ना शुक्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। फिलहाल, वे जेल में बंद हैं। जेल के अंदर रहते हुए जहां नर्तकी के डांस का लुत्फ उठाते हुए मीडिया में उनके फोटोग्राफ आए, तो कभी पीएचडी की डिग्री हासिल करने की खबर।

आपको बता दे शुक्ला ने बिहार के अंडरवर्ल्ड डॉन से लेकर विधायक तक का सफर तय किया है. वैशाली जिले के लालगंज में कभी मुन्ना शुक्ला की तूती बोलती थी. 15 साल तक उनका इस सीट पर वर्चस्व रहा. लालगंज हाजीपुर लोकसभा सीट के तहत आता है. बताया जाता है कि जुर्म की दुनिया में कदम रखने के लिए मुन्ना शुक्ला ने सीधे जिलाधिकारी की हत्या कर दी थी. मुन्ना शुक्ला का नाम बिहार की पूर्ववर्ती राबड़ी देवी सरकार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या में भी आया था, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया.

मुन्ना शुक्ला का बैकग्राउंड जानने के लिए समय के पहिए को रिवाइंड करना होगा. मुन्ना शुक्ला के पिता रामदास शुक्ला मुजफ्फरपुर के कोर्ट में वकील थे. बिहार के मुजफ्फरपुर में एक कॉलेज है लंगट सिंह. हजारों आईएएस और आईपीएस अफसर वहां से निकले हैं. लेकिन इस कॉलेज से ऐसे दबंग भी निकले जिन्होंने पढ़ाई नहीं गुंडागर्दी की तालीम हासिल की. मुन्ना शुक्ला चार भाइयों में तीसरे नंबर पर हैं. उनके सबसे बड़े भाई कौशलेंद्र उर्फ छोटन शुक्ला थे. उनसे छोटे अवधेश उर्फ भुटकुन शुक्ला. तीसरे नंबर पर मुन्ना शुक्ला और चौथे नंबर पर ललन शुक्ला उर्फ मारू मर्दन शुक्ला है.

लंगट सिंह कॉलेज के हॉस्टल में भी छात्रों के बीच जाति और इलाके में दबदबे को लेकर लड़ाई चलती रहती थी. छात्रों के इसी टकराव में उभरे कौशलेंद्र शुक्ला उर्फ छोटन शुक्ला. लंगट सिंह कॉलेज में छोटन पढ़ाई के साथ-साथ सियासत और गुंडई के लिए अपने पंजे पैने कर रहे थे. कॉलेज से निकलने के बाद छोटन ठेकेदारी के काम में लग गए और अपनी दबंगई के बल पर तिरहुत प्रखंड के सबसे बड़े ठेकेदार हो गए. उत्तर बिहार के हर बड़े ठेके पर छोटन शुक्ला का कब्जा हो चुका था. लेकिन उनके दुश्मन भी कम नहीं थे. इस दौरान 1994 में उनकी हत्या कर दी गई. इल्जाम लगा बाहुबली और बिहार के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद पर. लेकिन मुन्ना शुक्ला ने भाई की हत्या को सीढ़ी बनाकर जुर्म की दुनिया में एंट्री की.

कहा जाता है कि जुर्म की दुनिया में कदम रखने से पहले मुन्ना शुक्ला कुछ बड़ा करना चाहता था. आरोप है कि मुन्ना ने भाई छोटन शुक्ला की शव यात्रा निकाली और विरोध-प्रदर्शन आयोजित कराए. जब गोपालगंज के जिलाधिकारी भीड़ शांत कराने पहुंचे तो मुन्ना शुक्ला ने उकसाया और भीड़ ने जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पीट-पीटकर हत्या कर दी. यह पहला ऐसा मामला था, जब किसी हत्या में मुन्ना शुक्ला का नाम आया था. बस इसी घटना के बाद मुन्ना छोटन की कुर्सी का वारिस बन गया.

मुन्ना शुक्ला ने साल 1994-1998 तक ठेकेदारी से खूब पैसा कमाया. लेकिन कई लोगों से उनकी दुश्मनी भी रही. उस वक्त मुजफ्फरपुर इलाके में बृजबिहारी वो बाहुबली थे, जो मुन्ना के भाई छोटन के वक्त से ही दूसरे दबंगों को चुनौती दे रहे थे. जब बृज बिहारी प्रसाद 1998 में राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री बने तो उसका कद और ऊंचा हो गया. भला यह चीज मुन्ना और दूसरे बाहुबली कैसे सहन कर पाते.

बात 3 जून 1998 की है. बृजबिहारी पटना के इंदिरा गांधी अयुर्विज्ञान संस्थान में थे. शाम के वक्त पार्क में टहल रहे थे. तभी कुछ लोगों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. गोलियां चलाने वालों में गोरखपुर का डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला भी था. केस में मुन्ना शुक्ला, सूरजभान सिंह, राजन तिवारी समेत 8 लोगों को आरोपी बनाया गया. निचली अदालत ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. लेकिन पटना हाई कोर्ट ने 25 जुलाई 2014 को मुन्ना शुक्ला, सूरजभान समेत सारे आरोपियों को बरी कर दिया. फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं.

बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के बाद मुन्ना शुक्ला का बुरा वक्त शुरू हो गया. पुलिस और सरकार उनके पीछे पड़ गई. इसके बाद मुन्ना शुक्ला की नजर बाहुबली से विधायक बनने पर टिक गई. साल 1999 में हाजीपुर जेल से ही मुन्ना शुक्ला ने निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं सके.

अयोध्या: नौकरी का झांसा दे फर्जी दरोगा ने युवती से किया रेप

इसके बाद फिर साल 2002 में जेल से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा. इस बार नसीब में जीत लिखी थी. साल 2005 के पहले चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर और बाद में मध्यावधि चुनाव में जेडीयू के टिकट पर विधायक बने.

इसके बाद से उन्होंने जेडीयू का साथ नहीं छोड़ा और कई मौकों पर नीतीश कुमार के सुशासन की तारीफों के पुल बांधे. साल 2009 में जेडीयू ने आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के खिलाफ मुन्ना शुक्ला को वैशाली लोकसभा सीट से उतारा. लेकिन शुक्ला को हार मिली.

लॉकडाउन में बढ़ा महिलाओं पर अत्याचार, यूपी बना नंबर वन

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सजा पाए राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी. लेकिन दबदबा बनाए रखने की चाह में मुन्ना शुक्ला ने साल 2010 में अपनी पत्नी अन्नु शुक्ला को लालगंज सीट से जेडीयू का टिकट दिलवाया और वे विजयी रहीं.

जेल में भी मुन्ना की शुक्ला की दबंगई कम नहीं हुई. साल 2012 में सीएम नीतीश कुमार ने जन अधिकार रैली की थी. आरोप लगाया गया कि इसी रैली के नाम पर अन्नु शुक्ला के पति मुन्ना शुक्ला ने जेल में रहते हुए ही एक इंजीनियरिंग कॉलेज के डायरेक्टर से 2 करोड़ की रंगदारी मांगी थी. इसके बाद भगवानपुर थाने में मामला दर्ज हुआ और छापेमारी कर जेल से ही मुन्ना शुक्ला का फोन बरामद किया गया. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने आरोप लगाया था कि जेडीयू के लोग वसूली में लगे हुए हैं.

जेल में रहने के दौरान मुन्ना शुक्ला पर बाल बालाओं के डांस कराने के भी आरोप लगे. इसकी तस्वीरें भी अखबार में छपी थीं. इसी दौरान मुन्ना शुक्ला के जेल से पीएचडी करने की खबरें भी सामने आईं. कहा जा रहा है कि मुन्ना शुक्ला एक बार फिर से लालगंज विधानसभा सीट से प्रचार में लगे हैं और उन्हें जेडीयू से टिकट पाने की उम्मीद है. अब देखना होगा कि नीतीश कुमार क्या फिर मुन्ना शुक्ला की दबंगई पर दांव लगाएंगे या किसी और को मौका देंगे.

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें NTTV भारत के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @NTTVBHARAT1 और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @Nttv_Bharat