वाराणसी के पहले डिजिटल गांव गौरा के बाशिंदों के लिए एक क्लिक पर डॉक्टर उपलब्ध हैं। 2500 निवासियों के इस गांव के डिजिटल सेंटर पर टेली-कंसल्टेशन सुविधा गांववालों के लिए वरदान साबित हो रही है। उन्हें अपने इस छोटे से गांव की सीमा से बाहर गए बगैर गैर-आपातकालीन बीमारियों में बड़ी राहत मिल जा रही है।
गौरा गांव की निवासिनी 50 वर्षीय माला देवी मौर्या जनवरी से जून तक बड़ी चिंता से जूझ रही थीं। उन्हें जुलाई में तब राहत मिली जब उन्होंने गांव के डिजिटल सेंटर पर जाकर टेली-कंसल्टेशन के जरिए विशेषज्ञ की सलाह ली। माला देवी को ऐसा करने के लिए डिजिटल सेंटर के प्रमुख संजय मौर्य ने प्रेरित किया था।
माला को उनके शुरुआती संकोच से उबरने में मदद करने के साथ ही संजय मौर्य ने डिजिटल विलेज वेबसाइट https://www.digital-village.in/digital-health-services पर लॉगिन किया और उन्हें सलाह देने के लिए एक ऑनलाइन फिजिशियन को चुना। माला ने डॉक्टर को बताया, ‘मैं जनवरी से चिंता और घबड़ाहट से जूझ रही हूं। मैंने पड़ोस के एक डॉक्टर से सम्पर्क किया जिसने मुझे कुछ दवाइयां लिखीं और आराम करने की सलाह दी। मैंने पांच दिन दवाइयां लीं और आराम मिल गया। लेकिन कुछ दिन बाद ही चिंता और घबड़ाहट फिर होने लगी।’
डॉक्टर के मार्गदर्शन में संजय मौर्य ने माला का ब्लड प्रेशर और पल्स रेट चेक किया। इसके बाद डॉक्टर ने उन्हें कुछ दवाइयां बताईं जिन्हें नियमित रूप से लेने के चलते माला अब काफी बेहतर महसूस कर रही हैं। माला कहती हैं-‘पिछले दो महीने से मैं राहत में हूं। अच्छी हूं। मुझे अपने दरवाजे पर सही सलाह मिल गई।’ टेलीकंसल्टेशन गांववालों के लिए वरदान की तरह है क्योंकि उन्हें उनके गांव में ही विशेषज्ञों की सलाह मिल जा रही है।
डॉक्टर की प्रिसक्रिप्शन स्लिप सेंटर के डिजिटल अकाउंट में पहुंच जाती है जहां से मरीज को उसका प्रिंटआउट दे दिया जाता है। टेली कंसल्टेशन प्राथमिक उपचार का एक तरीका है। इसके जरिए गैर आपातकालीन बीमारियों में मरीज को डिजिटली विलेज सेंटर पर डॉक्टर की सलाह मिल जाती है। डॉक्टर या मरीज को तुरंत कहीं जाना नहीं पड़ता। यह डॉक्टर को आमने-सामने मर्ज दिखाने का विकल्प नहीं है लेकिन टेली कंसल्टेशन इलाज में सहायक जरूर साबित हो रहा है। संजय मौर्य बताते हैं,’पिछले दो महीने में करीब 40 लोग टेली कंसल्टेशन के जरिए डॉक्टरों की सलाह ले चुके हैं। यह डिजिटल ग्रामीण कार्यक्रम की डिजिटल स्वास्थ्य सुविधाओं के तहत हुआ है।
वह जोड़ते हैं कि टेली कंसल्टेशन के जरिए एलोपैथी के अलावा आयुर्वेद और होम्योपैथी के विशेषज्ञों की सलाह भी उपलब्ध है। सेंटर से गांववालों को नि:शुल्क दवाएं भी मिल जाती हैं। यदि डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा सेंटर पर उपलब्ध न हो तो ही मरीज से उसे मेडिकल स्टोर से लेने को कहा जाता है।
गांव की सुनीता मौर्या पिछले दो साल से कमर के दर्द से पीडि़त थीं। एक महीने पहले उन्होंने डिजिटल सेंटर के जरिए एक डॉक्टर से सम्पर्क किया। इस वक्त उनका इलाज चल रहा है। संजय मौर्य ने बताया कि उन्होंने गांव के सभी 593 परिवारों को टेली कंसल्टेशन और डिजिटल सेंटर पर उपलब्ध अन्य सभी सुविधाओं के बारे में बता रखा है। गांववालों को गांव के कॉमन सर्विस सेंटर के बारे में भी पूरी जानकारी है। वह बताते हैं कि यदि कोई मरीज डिजिटल सेंटर तक नहीं आ सकता तो वह मल्टी टेस्ट पोर्टेबल मशीन के साथ उसके घर जाते हैं और फिजिशियन से ऑनलाइन उनका सम्पर्क कराते हैं। यही नहीं डॉक्टर की बताई दवाएं वह लिखते हैं और स्लिप मरीज को दे देते हैं।
डिजिटल सेंटर पर स्थानीय के अलावा आसपास के गांवों के लोग भी आधार कार्ड बनवाने आते हैं। अब उन्हें इन कामों के लिए वाराणसी या कहीं और नहीं जाना पड़ता। संजय मौर्य बताते हैं कि डिजिटल सेंटर उनके और आसपास के गांवों के लिए बहुत एक स्थान पर बहुत सारी समस्याओं के समाधान का केंद्र है। यह उन्हें टेलीमेडिसिन, इंटरनेट कनेक्टिविटी सहित अन्य कई सेवाएं प्रदान करता है। सेंटर स्थानीय युवाओं को कौशल विकास का एक प्लेटफार्म भी मुहैया कराता है।डॉक्टर की प्रिसक्रिप्शन स्लिप सेंटर के डिजिटल अकाउंट में पहुंच जाती है जहां से मरीज को उसका प्रिंटआउट दे दिया जाता है। टेली कंसल्टेशन प्राथमिक उपचार का एक तरीका है। इसके जरिए गैर आपातकालीन बीमारियों में मरीज को डिजिटली विलेज सेंटर पर डॉक्टर की सलाह मिल जाती है। डॉक्टर या मरीज को तुरंत कहीं जाना नहीं पड़ता। यह डॉक्टर को आमने-सामने मर्ज दिखाने का विकल्प नहीं है लेकिन टेली कंसल्टेशन इलाज में सहायक जरूर साबित हो रहा है। संजय मौर्य बताते हैं,’पिछले दो महीने में करीब 40 लोग टेली कंसल्टेशन के जरिए डॉक्टरों की सलाह ले चुके हैं। यह डिजिटल ग्रामीण कार्यक्रम की डिजिटल स्वास्थ्य सुविधाओं के तहत हुआ है।